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Sunday, December 8, 2024

रात भर दुल्हन करती रही इंतजार, बारात घूमती रही यूपी-बिहार, जानिए

पटना । सजी-धजी दुल्हन अपने दूल्हे का इंतजार करती रही। बैंड बाजा वाले भी  ‘कब आओगे -कब आओगे…..कहां हैं रौनके महफिल यही सब पूछते हैं, वजह तेरे न आने की सब पूछते हैं….देर ना हो जाये कहीं देर ना हो जाये।’ गाना बजा-बजाकर थक गए। खुशी का माहौल उदासी में बदल गया क्योंकि दूल्हे समेत बारात रास्ता भटक गई और रात भर दुल्हन इंतजार करती रही।

शनिवार की रात यूपी के रामगढ़ के दीघार गांव में  दूसरे राज्य से आ रही बारात रास्ता भूलकर पूरी रात यूपी-बिहार की खाक छानती रही ,जबकि दुल्हन व परिजन इंतजार में राह ताकते रहे। बारात की तारीख बीत जाने के बाद अगले दिन पहुंची तो लड़की पक्ष परेशान हो उठा। एक बार फिर नाश्ता-भोजन का इंतजाम करने के बाद दिन में ही शादी की रस्म अदा की गयी।

रेवती थाना क्षेत्र के दीघार गांव निवासी स्व. धनेश श्रीवास्तव की बेटी सीमा की शादी कटनी (मध्य प्रदेश) जिले के मझौली थाना क्षेत्र के धनगावा निवासी मदनलाल श्रीवास्तव के पुत्र अमित श्रीवास्तव साथ तय थी।

23 अप्रैल को लड़की पक्ष ने कटनी जाकर तिलक चढ़ाया। 29 अप्रैल को विवाह की तिथि निर्धारित थी। बस से दूल्हा व बाराती दीघार के लिये चल दिये। देर शाम बारात गाजीपुर पहुंची और वहीं से बलिया आते समय रास्ता भटक गयी। 

बलिया के बदले बक्सर पहुंची बारात

बारात बलिया आने की बजाय मऊ पहुंच गयी। मऊ पहुंचने के बाद बारातियों ने किसी से रास्ता पूछा, लेकिन एक बार फिर रास्ता भटकी बारात गाजीपुर के कठवा मोड़ पहुंची। यहां से बलिया वाले रास्ते पर घुमने की बजाय बरात बिहार के बक्सर होते हुए कोईलवर पहुंच गयी।

इधर, शादी की तैयारी में जुटे लड़की पक्ष वाले बरातियों का इंतजार करते रहे। कई बार लोकेशन जानने के लिये दुल्हा के घरवालों से सम्पर्क करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। काफी प्रयास के बाद रविवार की सुबह करीब छह बजे लड़का पक्ष से मोबाईल पर बात हुई तो उन्होंने फेफना पहुंचने की बात कही।

दोबारा बारातियों की गाड़ी रास्ता न भटके, इसलिये लड़की पक्ष ने बारात को वहीं पर रूकने की बात कही और खुद गाड़ी से उन्हें लेने पहुंच गये। लड़की पक्ष वाले बरातियों को साथ लेकर दीघार पहुंचे तथा दोबारा स्वागत की तैयारियों में जुट गये। 

यूपी-बिहार की दूरी नापने के बाद थके बारातियों ने स्नान व नाश्ता आदि किया। पूरी रात इंतजार करने के बाद मायूस हो चुके लड़की पक्ष में एक बार फिर आपाधापी मच गयी। दिन में ही शादी की रस्म पूरी की गयी।

ग्रामीणों के सहयोग से आसान हुई मुश्किल

रात में रास्ता भूलने की वजह से बराती एक दिन बाद रविवार को जब यहां पहुंचे तो शादी वाले घर में सब थके-हारे थे। हलवाई जा चुके थे तथा बरातियों के ठहरने के लिए लगाया गया शामियाना आदि भी उखड़ चुका था। करीब 30-35 की संख्या में पहुंचे बरातियों को ठहराने या फिर नाश्ता-खाना आदि को लेकर आपाधापी मच गयी। ऐसे मौके पर गांव वाले आगे आये। 

उन्होंने बरातियों को हाथों-हाथ ले लिया। सुबह के क्रिया-कर्म के बाद गांव के पोखरे पर बारातियों के नहाने-धोने का प्रबंध किया गया। गांव के करीब एक दर्जन युवक बरातियों की आवभगत में जुटे रहे ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो तथा गांव का सम्मान कायम रहे।

गर्मी की वजह से एक दिन पहले की मिठाई भी खराब हो गयी थी, लिहाजा सुबह जलपान के लिये ताजी मिठाई की व्यवस्था की गयी। बड़ी मिन्नत के बाद हलवाई को खाना बनाने के लिये रोका गया। उसके साथ गांव के कुछ युवक भी सहयोग मे लगे रहे। 

 

लड़की वाले के घर के बगल में ही पुतुल तिवारी दरवाजे पर बारातियों के ठहरने का प्रबंध किया गया। इसके बाद गांव के लोगों ने मिल-जुलकर ही बरातियों के लिए नाश्ता-खाना बनाया तथा शादी को कुशलता के साथ सम्पन्न कराया।

बैण्ड पार्टी ने भी इंतजार में गुज़ारी रात

दूर से बारात आने की वजह से बैण्ड पार्टी व टेंट शामियाने का इंतजाम लड़की पक्ष के ही जिम्मे था। रात के करीब 10 बजे तक तो बैण्ड बाजा बजता रहा। इस पर नर्तकी के साथ ही युवा भी थिरकते रहे। 

सबको उम्मीद थी कि कुछ ही देर में बराती पहुंच जायेंगे। लेकिन जैसे-जैसे बारात लेट होती गयी, बैंड पार्टी के साथ ही युवाओं का उत्साह भी थमता गया। घरातियों के साथ ही बैण्ड वाले भी पूरी रात बरात का इंतजार करते रहे। अगले दिन सुबह 9 बजे बारात जनवासे लगने के बाद बैण्ड वाले विदा हुये।

महिलाओं का उत्साह फीका

पूरी रात के इंतजार के बाद महिलाओं का उत्साह जरूर फीका पड़ गया था। रात भर के इंतजार के बाद महिलाएं मंगल गीतों की अपेक्षा शादी की रस्म पूरी करने मे ही व्यस्त दिखी।

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