उत्तर प्रदेश में चुनाव का असली रंग देखना है तो अयोध्या आइए. सोमवार यानी 27 फरवरी को अयोध्या समेत जिन 52 सीटों पर मतदान होना है, वहां पर शुक्रवार को सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. अयोध्या में शिवरात्रि के दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़, मकानों की छत पर तमाम पार्टियों के रंग-बिरंगे झंडे और लाउडस्पीकर पर गूंजती भजनों के साथ जनसभाओं में नेताओं के भाषण की आवाज यह एहसास करा रही थी कि यूपी का चुनाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है. शनिवार शाम 5:00 बजे यहां चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा.
बीजेपी के लिए अयोध्या सिर्फ विधानसभा की एक सीट नहीं बल्कि एक प्रतीक है, जिसके दम पर उसने देश के राजनीति में अपना रथ चलाया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी अयोध्या की सीट हार गई थी तो सचमुच पार्टी की नाक कट गई थी. 1991 के बाद बीजेपी अयोध्या की विधानसभा सीट कभी नहीं हारी थी. लेकिन पिछली बार पवन पांडे ने अयोध्या की सीट पर बीजेपी को हराकर समाजवादी पार्टी का झंडा लहरा दिया था. अक्सर विवादों में रहने वाले पवन पांडे पर अखिलेश यादव ने एक बार फिर से दांव लगाया है.
सपा की ओर से फिर लड़ रहे हैं पवन पांडे
शुक्रवार को अखिलेश यादव ने अयोध्या में रैली करके पवन पांडे की जमकर तारीफ की और कहा की फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार बनानी है तो पवन पांडे को जिताकर भेजें. इससे पहले गुरुवार को आजम खान ने अयोध्या आकर जोरदार चुनाव प्रचार किया था और पवन पांडे के समर्थन में मुसलमानों से यह अपील कर दी थी कि बीएसपी को वोट देने से तो अच्छा है कि मुसलमान सीधे-सीधे बीजेपी को ही वोट दे दें. इस बार आयोध्या जीतने को लेकर समाजवादी पार्टी की चिंता बेवजह नहीं है. अयोध्या के सीट फिर से जीतने के लिए समाजवादी पार्टी को यहां के मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन की दरकार है. लेकिन अयोध्या सीट पर मायावती ने ऐसा दांव खेला है जैसा किसी ने नहीं आजमाया.
बीएसपी ने उतारा मुस्लिम उम्मीदवार
कई दशकों के बाद किसी बड़ी पार्टी ने इस सीट पर एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है. बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मोहम्मद बज़्मी सिद्दकी पेशे से प्रॉपर्टी डीलर हैं और राजनीति के नए खिलाड़ी हैं. लेकिन घर-घर घूम कर वोट मांग रहे बज़्मी सिद्दीकी को अपनी जीत का पूरा भरोसा है. वह कहते हैं कि मायावती के दलित वोट बैंक के साथ जब अयोध्या के 45 हजार मुसलमानों का वोट जुड़ जाएगा तो उनकी जीत कोई रोक नहीं सकता. अपने चुनाव प्रचार में वो मुसलमानों को याद दिलाते हैं कि मुजफ्फरनगर दंगा से लेकर लूटमार की सारी घटनाएं समाजवादी पार्टी के शासनकाल में ही हुई हैं.
उम्मीदवार के चयन से नाराज हैं बीजेपी कार्यकर्ता
नाक का सवाल बन गई अयोध्या सीट को फिर से जीतने के लिए बीजेपी ने इस बार व्यापारी नेता वेद प्रकाश गुप्ता पर भरोसा किया है. लेकिन वेद प्रकाश गुप्ता की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वो इसी अयोध्या सीट से समाजवादी पार्टी और बीएसपी दोनों से चुनाव लड़ चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी के उम्मीदवार थे. पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को छोड़कर एक दल बदलू नेता को टिकट देने से बीजेपी के लोगों में खासी नाराजगी है. खुद वेद प्रकाश गुप्ता को इस नाराजगी का एहसास है और वो चुनाव प्रचार में कहते हैं कि अब उनकी घर वापसी हो गई है और अब कभी बीजेपी छोड़कर नहीं जाएंगे.
राम नाम नहीं, मोदी के नाम का सहारा
बीजेपी के वोटरों से बात करें तो वह साफ कहते हैं कि उन्हें उम्मीदवार को नहीं बल्कि मोदी को वोट देना है. वेद प्रकाश गुप्ता के समर्थक घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करते समय ‘जय श्रीराम’ की बजाय ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’ का नारा लगाते हैं. बात बिल्कुल साफ है, उम्मीदवार भी हवा का रुख भांप रहे हैं और राम की इस नगरी में भी बीजेपी को मोदी के नाम का ही सहारा है.