आम बजट से ठीक पहले देश का आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार सदन में रखेगी. जिससे सरकार के दावों और हकीकत के बीच का अंतर बहुद हद तक साफ हो जाएगा.
नई दिल्ली: आज से संसद का बजट सत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुरु हो जाएगा. राष्ट्रपति के इस अभिभाषण में मोदी सरकार अपने पिछले चार सालों का रिपोर्ट कार्ड दे सकती है. साथ ही बेरोज़गारी, महंगाई, जीएसटी और नोटबंदी से फैसलों पर भी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाकर विपक्ष को जवाब देने की कोशिश करेगी.
इसके अलावा मोदी सरकार का अगले एक साल तक का क्या एजेंडा होगा इसकी झलक भी राष्ट्रपति के अभिभाषण में दिख सकती है. मौजूदा कार्यकाल में मोदी सरकार का ये आखिरी बजट सत्र होगा. ऐसे में सरकार की उपलब्धियां और अगले एक साल के एजेंडे की झलक राष्ट्रपति के अभिभाषण में दिखनी तय मानी जा रही है.
इन तीन मोर्चों पर होगा मोदी सरकार का पूरा जोर
इस अभिभाषण के साथ ही टीम मोदी एक बार फिर से 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए जनता की अदालत में उतर जाएगी. अभिभाषण में तीन मोर्चों पर मोदी सरकार का पूरा जोर रहने वाला है. पहला जो सरकार के कामकाज को लेकर भ्रम है, उसे दूर करना. दूसरे ये कि अब तक सरकार ने जीएसटी व नोटबंदी समेत जो बड़े और क्रांतिककारी कदम उठाए हैं उसके फायदे जनता को बताना और तीसरा न्यू इंडिया की अवधारणा वाला भारत, जहां सबके लिए बराबरी का मौका होगा.
आंतरिक और सामरिक सुरक्षा के साथ-साथ विदेश नीति के मोर्चे पर भी मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया जाएगा.
महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष को जवाब
पिछले कुछ दिनों में विपक्ष ने मोदी सरकार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरा है. जिस पर अब तक मोदी सरकार ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया. माना जा रहा है कि राष्ट्रपति के इस अभिभाषण में मोदी सरकार मजबूत अर्थव्यवस्था का दावा पेश करेगी.
मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड
आज होने वाले अभिभाषण को मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड कहना गलत नहीं होगा. चार सालों में सरकार ने क्या-क्या किया और उसके क्या फायदे देश को मिले, राष्ट्रपति का अभिभाषण उसी के आस-पास रहेगा.
नोटबंदी और जीएसटी के अलावा बैंकों के सशक्तीकरण क्षेत्र में उठाए गए कदमों का जिक्र भी प्रमुखता से राष्ट्रपति के अभिभाषण में होगा. जीएसटी को देश के लिए गेमचेंजर के रूप में गिनाया जाएगा.
मोदी के सपनों के भारत की झलक
2014 लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी ने वादा किया था कि वो ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जिसमें सबका साथ होगा और सबका विकास होगा, बिना भेदभाव के तरक्की में सबकी भागीदारी पुख्ता की जाएगी और इसी को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार अपने न्यू इंडिया के विज़न का खाका भी राष्ट्रपति के अभिभाषण में रख सकती है.
लोगों का भरोसा फिर से जीतने की होगी चुनौती
भारत का 73 फीसदी धन देश के सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास है. हालिया वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए थे. सरकार की चुनौती इस रिपोर्ट से आगे बढ़कर लोगों का भरोसा फिर से जीतने की होगी. डोकलाम विवाद और LOC पर बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सरकार अपना पक्ष ठोस तरीके से रखने की तैयारी कर चुकी है.
आम बजट से ठीक पहले देश का आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार सदन में रखेगी. जिससे सरकार के दावों और हकीकत के बीच का अंतर बहुद हद तक साफ हो जाएगा. मोदी सरकार के फैसले आम जनता के जीवन में कितना असर छोड़ पाए ये तस्वीर भी साफ हो जाएगी.