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Wednesday, February 19, 2025

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण व कार्यशाला हुई आयोजित……

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण व कार्यशाला हुई आयोजित……

बहराइच : (अब्दुल अजीज)NOI :-हर हफ्ते आयरन की नीली गोली खिलाएं, किशोर-किशोरियों में खून की कमी को दूर भगाएं एनीमिया (खून की कमी) ना करें नजरअंदाज, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से लायें आयरन-फोलिक एसिड की गोली आज नाखून, जीभ, हथेली और आँखों की लालिमा में कमी एनीमिया के पहचान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सम्पूर्ण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गयी | जिसमें स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग तथा शिक्षा विभाग के जनपद एवं ब्लॉक स्तरीय सेवा प्रदाताओं एवं कार्यकर्ताओं को जिले के किशोर-किशोरियों में एनीमिया की रोकथाम पर विस्तृत जानकारी दी गयी |

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक राकेश कुमार गुप्ता ने प्रशिक्षण देते हुए बताया कि एनीमिया एक प्रमुख जनस्वास्थ्य समस्या है, जिसका मुख्य कारण अल्प-पोषण, तथा खान-पान में लौह तत्व की कमी होना है | उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान होने वाली तीव्र शारीरिक वृद्धि तथा माहवारी के दौरान रक्त स्त्राव के कारण किशोरियों में एनीमिया तथा उससे जुडी कमजोरी की सम्भावना अधिक हो जाती है | सरकार की ओर से किशोर-किशोरियों में एनीमिया की रोकथाम के उद्देश्य से नेशनल आयरन प्लस इनिसिएटिव (NIPI) के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (WIFS) का कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है | इसमें आयरन गोलियों का क्रय, आपूर्ति, वितरण, उपभोग, एनीमिया का प्रबंधन तथा वर्ष में दो बार डिवार्मिंग (पेट के कीड़े मारने की दवाई) दिए जाने का प्रावधान है | उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग तथा शिक्षा विभाग का सहयोग आपेक्षित है |

इस मौके पर ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के जिला प्रबंधक मनोज कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि किशोरावस्था 10-19 वर्ष की आयु का अंतराल है, जिसमें किशोर-किशोरियों में शारीरिक एवं मानसिक विकास और परिवर्तन तेजी से होते हैं | इन परिवर्तनों को समझ पाने में किशोर-किशोरी स्वयं को भ्रम की स्थिति में पाते हैं | इस आयु में समुचित विकास हेतु पोषण एक महत्वपूर्ण कारक है, अतः किशोर-किशोरियों में एनीमिया के स्तर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है | उन्होंने कहा कि इसके लिए हम सभी को एनीमिया चक्र अर्थात उम्र के विभिन्न पड़ाव में एनीमिया जो कि इस प्रकार है- गर्भवती महिला में एनीमिया > नवजात शिशु में एनीमिया > 1 वर्ष से 5 वर्ष के बच्चे में एनीमिया > 5 वर्ष से 10 वर्ष के बच्चे में एनीमिया > 10 वर्ष से 19 वर्ष के किशोर/किशोरियों में एनीमिया > प्रजनन वर्ग की महिलाओं में खून की कमी > गर्भवती महिला में एनीमिया के बारे में जानकारी रखने तथा इस हेतु जागरूक होने की खास जरूरत है | उन्होने बताया कि क्लिनिकल अन्थ्रोपोमेट्रिक एंड बायोकैमिकल सर्वे (CAB) – 2014 के अनुसार, जिले में 10 से 17 वर्ष की 97.9 फ़ीसदी किशोरियां एनीमिया से हैं ग्रसित |
इस मौके पर बहराइच नगर, क़ैसरगंज, फखरपुर, हुजूरपुर, रिसिया, तेजवापुर, बाबागंज, और बलहा ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी और बाल विकास अधिकारी मौजूद थे |

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