नई दिल्ली, एजेंसी। गुजरात के सियासी रणभूमि में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला बनता जा रहा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नवसजृन यात्रा के जरिए मैराथन दौरे करके पार्टी में नई जान फूंकी है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने बीजेपी के दुर्ग में ही उसे मात देने के लिए जातीय समीकरण के तहत राज्य के युवा त्रिमूर्ती को भी साधा है. गुजरात में राहुल गांधी की सारी मेहनत पर पानी फेरने के लिए बीजेपी ने काउंटर प्लान तैयार किया है. बीजेपी अपनी बादशाहियत को बरकरार रखने के लिए गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 50 रैलियों के साथ-साथ 200 ओबीसी और दलित नेताओं की भी फौज को उतारने की तैयारी की है.
बता दें कि कांग्रेस ने गुजरात की सियासी बाजी जीतने के लिए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर को गले लगाया तो दलित युवा नेता जिग्नेश मेवाणी का समर्थन लिया तो पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के जरिए बीजेपी के परंपरागत वोटर में सेंधमारी करने की जुगत लगाई है.
बीजेपी मिशन गुजरात को फतह करने के लिए अपने सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी के सहारे मैदान में उतर रही है. बीजेपी ने नरेंद्र मोदी की करीब 50 रैलियां कराने की योजना बनाई है. नवंबर के आखरी सप्ताह से नरेंद्र मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां शुरू हो जाएगी. इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में नरेंद्र मोदी की रोड शो करने की योजना है.
गुजरात के सभी जिलों में कम से कम दो रैलियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तैयारी बीजेपी कर रही है. राज्य में कुल 33 जिले हैं और 182 विधानसभा सीटें हैं. मोदी की करीब 50 रैलियों का प्लान है. इस तरह देखा जाए तो मोदी की एक रैली के जरिए तीन से चार विधानसभा सीटों को टारगेट किया जा रहा है.
बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव मतदान दो चरणों में हैं. पहला चरण 9 नंवबर और दूसरा 14 नवंबर को है. पहले चरण के मतदान के लिए 24 नंवबर को उम्मीदवारी वापस लेने की आखरी तारीख है. पहले चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में प्रधानमंत्री की रैलियों का रोड मैप तैयारी हो रही है.
कांग्रेस की त्रिमूर्ती के काट के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और बिहार के करीब 200 ओबीसी और दलित नेताओं को गुजरात प्रचार में उतारने का फैसला किया है. ये नेता ओबीसी और दलित क्षेत्रों में घर-घर जाकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि गुजरात में ओबीसी मतदाता करीब 52 फीसदी है, जो राज्य की करीब 80 से 85 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं.
कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर को गले लगाकर ओबीसी मतों पर जोड़ने की कवायद की है. इसी के काट में बीजेपी ने ओबीसी नेताओं की बड़ी फौज उतारने का फैसला किया है. बीजेपी के ओबीसी नेता भूपेंद्र यादव गुजरात में जमे हुए हैं. भूपेंद्र यादव ही किस ओबीसी नेता को कहां लगाना है. इस पर भी काम कर रहे हैं.गुजरात में 7 फीसदी दलित मतदाता है. ऊना घटना के बाद माना जा रहा है कि दलित मतदाता बीजेपी से नाराज है. ऊना आंदोलन से पहचान बनाने वाले दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस का समर्थन का ऐलान कर दिया है. ऐसे में बीजेपी ने दलित नेताओं को भी गुजरात में उतारने की तैयारी की है. इस कड़ी में दलित चेहरा केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और आत्माराम परमार को गुजरात में उतार दिया है. गुजरात के दलित बाहुल्य क्षेत्रों में पासवान को अधिक सक्रिय रूप में बीजेपी इस्तेमाल कर रही है.