नई दिल्ली. कांग्रेस में प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए राहुल गांधी की ताजपोशी आज हो सकती है। इस पोस्ट के लिए राहुल के अलावा किसी और कैंडिडेट ने ऑफिशियल नॉमिनेशन नहीं किया है। नॉमिनेशन वापस लेने की डेडलाइन आज शाम 3 बजे तक है। इसके बाद प्रेसिडेंट के तौर पर राहुल गांधी के नाम का एलान किया जा सकता है। गांधी फैमिली से प्रेसिडेंट बनने वाले राहुल अकेले मेंबर नहीं है, लेकिन ऐसे मेंबर जरूर हैं, जिनके सामने चुनौतियां ज्यादा हैं और हालात मुश्किल।
गांधी परिवार से अब तक 5 प्रेसिडेंट
1) मोतीलाल नेहरू
– गांधी परिवार से सबसे पहले कांग्रेस प्रेसिडेंट की पोस्ट संभाली मोतीलाल नेहरू ने। वे 1919 में 58 साल की उम्र में पहली बार कांग्रेस प्रेसिडेंट बने। 1928 में भी उन्हें इस पोस्ट के लिए चुना गया।
2)
– जवाहरलाल नेहरू ने सबसे कम 40 साल की उम्र में 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष की पोस्ट संभाली। नेहरू 8 बार कांग्रेस प्रेसिडेंट बने।
3) इंदिरा गांधी
– जवाहर लाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी परिवार की तीसरी मेंबर थीं, जो कांग्रेस प्रेसिडेंट बनीं। इंदिरा ने 1959 में 42 साल की उम्र में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला। वे 5 बार इस पोस्ट पर चुनी गईं।
4)
– इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी 1985 में 41 साल की उम्र में कांग्रेस अध्यक्ष बने। उन्होंने 1991 तक ये पोस्ट संभाली।
5)
– सोनिया गांधी परिवार की पांचवीं मेंबर थीं, जो कांग्रेस प्रेसिडेंट बनीं। सोनिया ने सबसे ज्यादा 19 साल तक इस पद की जिम्मेदारी संभाली। उन्हें 1998 में कांग्रेस प्रेसिडेंट चुना गया था।
सबसे मुश्किल दौर में राहुल गांधी
#नेहरू का दौर
– 1951 यानी जवाहरलाल नेहरू के वक्त देश के 90% हिस्से पर कांग्रेस का शासन था। तब कांग्रेस के पास लोकसभा की 489 में से 364 (74%) सीटें थीं।
#इंदिरा का दौर
– 1969 में इंदिरा गांधी के वक्त भी देश के 90% हिस्से पर कांग्रेस का शासन था। तब कांग्रेस के पास लोकसभा की 494 में से 371 (75%) सीटें थीं।
#राजीव का दौर
– 1985 में राजीव गांधी के पीएम बनने के बाद कांग्रेस का देश के 67% हिस्से पर शासन था। उस वक्त कांग्रेस के पास लोकसभा की 542 में से 415 (77%) सीटें थीं।
#सोनिया का दौर
– 1998 में सोनिया गांधी के पार्टी प्रेसिडेंट पोस्ट संभालने के वक्त कांग्रेस का देश के 19% इलाके पर शासन था। कांग्रेस के पास लोकसभा की 543 में से 141 (28%) सीटें थीं।
#राहुल का दौर
– अब जब राहुल कांग्रेस के प्रेसिडेंट बनने जा रहे हैं, तब पार्टी के पास लोकसभा में 543 में से सिर्फ 46 (8%) सीटें हैं।
राहुल के सामने हैं चुनौतियां
1) 2019 का इलेक्शन और 12 राज्यों के चुनाव
– कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को पीएम कैंडिडेट के तौर पर उतार सकती है। पार्टी राहुल को अध्यक्ष बनाकर संगठन और कार्यकर्ताओं में जोश भरना भी चाह रही है। 2019 अाम चुनाव से पहले 12 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में, कांग्रेस राहुल के जरिए तैयारी करना चाह रही है।
2) स्टेट यूनिट्स को मजबूत करने की चुनौती
– सोनिया गांधी की सेहत कुछ वक्त से ठीक नहीं है। कांग्रेस, राहुल के जरिए राज्य इकाइयों को मजबूत करना चाह रही है। राहुल के आने से कांग्रेस में कई बदलाव हो सकते हैं। राहुल लंबे वक्त से नई टीम बनाने में लगे हुए हैं। कई पुराने नेता इसका विरोध भी कर चुके हैं। अध्यक्ष बनने के बाद राहुल सारे फैसले खुद ले सकेंगे। वह कांग्रेस कार्य समिति में भी फेरबदल कर सकते हैं।
3) हिंदू विरोधी छवि बदलने की कवायद
– राहुल 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस की हिंदू विरोधी छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वह कांग्रेस से मुस्लिम तुष्टिकरण और बहुसंख्यकों की उपेक्षा का लेबल हटाने में जुटे हैं। राहुल ने शुरुआत 2014 में उत्तराखंड से की थी, जब वह केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे थे। इसके बाद से वह जिस राज्य में चुनावी रैली करते हैं, मंदिरों में पूजा जरूर करते हैं।
– राहुल गुजरात में अब तक 26 बार मंदिर जा चुके हैं। वह खुद को शिवभक्त, जनेऊधारी ब्राह्मण भी बता चुके हैं। वह गुजरात में जय सरदार, जय भवानी का नारा भी लगा चुके हैं।