लखनऊ।
रेलवे अधिकारियों के खिलाफ अक्सर यात्री अपना गुस्सा जाहिर करते हैं, लेकिन रविवार रात एक कैंसर से पीड़ित यात्री की अचानक मौत पर उनका मानवीय चेहरा सामने आया। ट्रेन का स्टॉपेज न होने के बावजूद मंडल परिचालन प्रबंधक ने उन्नाव स्टेशन पर ट्रेन रुकवाकर यात्री का शव नीचे उतरवाने का इंतजाम किया। इतना ही नहीं रेलवे ने महिला के साथ उसके पति का शव भी भिजवाया।
चारबाग स्टेशन से रविवार देरशाम लोकमान्य तिलक टर्मिनस एसी स्पेशल (22122) रवाना हुई। इस ट्रेन के बी-6 कोच की 34 और 35 नंबर बर्थ पर कैंसर से पीड़ित मरीज विनोद कुमार (50) और उनकी पत्नी सफर कर रही थीं। विनोद की पत्नी उन्हें कैंसर के इलाज के लिए मुम्बई ले जा रही थी। ट्रेन के चारबाग स्टेशन से चलने से अमौसी तक विनोद ठीक थे, लेकिन अमौसी से ट्रेन निकलते ही उनकी तबियत खराब होने लगी। हरौनी स्टेशन से ट्रेन के निकलने तक उसकी सांसें थम गईं।
इस दौरान उसी कोच में सफर कर रहे अरविंद श्रीवास्तव नामक यात्री ने चारबाग स्टेशन के स्टेशन मास्टर अरविंद बघेल को इस घटना की सूचना दी। इसके बाद बघेल ने मंडल परिचालन प्रबंधक आनंद मोहन को मामले की जानकारी देते हुए उन्नाव में ट्रेन का ठहराव न होने के बावजूद उसे रुकवाने का अनुरोध किया। डीओएम ने मानवीयता दिखाते हुए ट्रेन रोकने पर सहमति दे दी। डीओएम के निर्देश पर कंट्रोलर ने उन्नाव में ट्रेन रुकवाकर शव उतरवाने का इंतजाम किया। आरपीएफ, जीआरपी व रेलकर्मियों ने कोच में पहुंचकर शव उतरवाकर पत्नी के साथ लखनऊ भिजवाया। कोच के यात्रियों को एक ओर जहां सहयात्री की मौत का गम था, वहीं दूसरी ओर वह रेलवे के मानवीय चेहरे से खुश भी हुए। करीब 15 मिनट बाद रेल कर्मियों ने बर्थ की सफाई करवाकर ट्रेन रवाना करवा दी।