दीपक ठाकुर:NOI।
भारतीय रेल और उसका विभाग खुद पे शर्मिंदा होने के अलावा लगता है कि और कुछ नही कर सकता ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि तमाम आलोचनाओं के बाद भी ना ही किसी गाड़ी ने अपनी रफ्तार पर अंकुश लगाया है और ना ही चारबाग स्टेशन यात्रियों की सुविधाओं की सुध ले पा रहा है।
मंगलवार का दिन था जब हमारे मित्र अपने ससुराल की यात्रा पर निकलने वाले थे उसी दिन सुबह जब उन्होंने रेलवे विभाग की साइट पे देखा तो उनकी नीलांचल एक्सप्रेस 2 घण्टा देरी से बता रही थी लिहाज़ा वो आराम से घर मे बैठे रहे और नेट पे देखते रहे कि गाड़ी की असल पोजीशन क्या है।लेकिन रेलवे विभाग यात्रियों को चैन से कैसे बैठने दे सकता है लिहाजा नेट ने भी अपडेट देना उस वक़्त बन्द कर दिया जब गाड़ी कानपुर पहुंचने वाली थी।
फिर क्या था गाड़ी छूट जाने और बड़े मंगल में जाम में फस जाने के डर से वो घर से तब निकले जब नेट ने बताया कि 4 बजके 35 मिनट पर 12876 नीलांचल एक्सप्रेस लखनऊ पहुंचेगी।इसी उम्मीद के साथ वो 4 बजे स्टेशन पहुंच गए और पहुंचे प्लेटफॉर्म नम्बर 4 पर।
प्लेटफार्म नम्बर 4 का मंज़र भी हमेशा की तरह बड़ा अजीबोगरीब दिखा वहां यात्रियों के बैठने की जगह नही थी और गाड़ी आने का कोई अतापता भी नही था।भीषण गर्मी के साय में हर यात्री परेशानी के साथ उस समय का इंतज़ार कर रहा था जब लाउडस्पीकर उनकी गाड़ी की सही जानकारी दे।अब घड़ी में 5 बज चुके थे जिससे एक बात तो साफ हो गई कि नेट की 4:32 वाली जानकारी बिल्कुल गलत थी।फिर तक़रीबन सवा पांच बजे लाउडस्पीकर से आवाज़ आई के नीलांचल अपने निर्धारित समय से 4 घण्टा 50 मिंट की देरी से आने की संभावना है मतलब 2 बजे की जगह अब 7 बजे शाम को आने की संभावना है पक्का वो भी नही था।
तो इन सब परेशानियों से ना ही हमारी सरकार को कोई मतलब होता दिखाई दे रहा है ना रेलवे विभाग को और डंका बजाते है कि देश बदल रहा है डिजिटल हो रहा अरे साहब आप चुनाव में जीत का प्रयास करने में व्यस्त रहते हैं और आपके विभाग मुफ्त की तन्खाह बनाने में तो ऐसे में आम जनता की आपको क्या तकलीफ का एहसास होगा।विदेश की यात्रा तो आपने बहुत की पर अनुशासन कैसे आये ये नही सिखा पाए किसी विभाग को जापान से ही कुछ सीख लिया होता जहां कुछ सेकंड की देरी से आफत हो जाती है यहां तो घंटों लग जाते है ये बताने में के कब तक आएगी वाह रे भारतीय रेल वाह।