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Saturday, December 14, 2024

लखनऊ के इस अस्पताल में वार्मर से लगी आग, नवजात झुलसा

 

लखनऊ। केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल के पहले तल पर स्थित एनएनयू में आग लगने से एक 12 दिन का नवजात बुरी तरह झुलस गया। नवजात को बुखार और संक्रमण के बाद नाजुक हालत में नियो नेटल यूनिट (एनएनयू) में ऑक्सीजन सपोर्ट पर वार्मर में रखा गया था।इसी बीच रेडिएंट हीटर से निकली चिंगारी ऑक्सीजन सप्लाई में घुस गई और नवजात बुरी तरह झुलस गया। मौके पर मौजूद डॉक्टरों व स्टाफ ने मशीन बंद कर नवजात को बाहर निकाला।

पांच बेड की एनएनयू यूनिट में आग लगने से हड़कंप मच गया। हालांकि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, जिससे यूनिट में भर्ती पांच बच्चों की जान बाल-बाल बच गई। आशियाना के रितेश वाजपेई की पत्नी कविता ने 15 दिसंबर को क्वीन मेरी में बेटे को जन्म दिया था। 19 को बच्चे की हालत बिगड़ गई और तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगी।

डॉक्टरों ने बच्चे की हालत गंभीर देख क्वीन मेरी के पहले तल पर स्थित नियो नेटल यूनिट (एनएनयू) में भर्ती कर दिया। शनिवार रात करीब नौ बजे बच्चा रेडिएंट हीटर से लैस वार्मर पर ऑक्सीजन सपोर्ट के सहारे सो रहा था।

इसी बीच रेडिएंट हीटर में स्पार्किंग हुई और आग नवजात के मुंह में लगी ऑक्सीजन हुड तक पहुंच गई। ऑक्सीजन हुड के सहारे आग बच्चे के चेहरे तक पहुंच गई। इस घटना के बाद हडंकंप मच गया। एनएनयू में मौजूद डॉक्टर व स्टाफ ने बुरी तरह झुलसे बच्चे को प्राथमिक उपचार के बाद ट्रॉमा के एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया। यूनिट में आग की घटना पर डॉक्टरों व स्टाफ ने समय रहते काबू पा लिया।

बेकाबू होती आग तो हो सकता था बड़ा हादसा

पिता रितेश का आरोप है कि रात को डॉक्टरों ने बताया कि नवजात को दवा का रिएक्शन हो गया है, इसी लिए एनआईसीयू शिफ्ट किया गया है। रितेश ने बताया कि इसके बाद जैसे-तैसे नवजात की फोटो एनआईसीयू से मंगाई तो उसका शरीर बुरी तरह झुलसा था। इसके बाद रितेश ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस बुलाई, तब मामला सामने आया।

एनएनयू यूनिट में ऑक्सीजन और रेडिएंट हीटर में आग पर समय रहते काबू नहीं किया गया होता तो ओवरलोड चलने वाले क्वीन मेरी अस्पताल में बड़ा हादसा हो सकता था। 350 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में अधिकतर गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चे और कुछ गंभीर रोगी भर्ती रहते हैं। साथ ही सैकड़ों की संख्या में तीमारदार अस्पताल में रहते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनएनयू यूनिट में लगे वार्मर काफी पुराने हैं। पुराने वार्मर से जैसे-तैसे इलाज किया जा रहा है। एनआईसीयू में बेड फुल होने की स्थिति में बच्चों को इस यूनिट में प्राइमरी इलाज दिया जाता है। अब पुराने वार्मर के सहारे बच्चों का इलाज उनकी जान पर भारी पड़ने लगा है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि ऑक्सीजन हुड में लगी आग अगर बेकाबू हो जाती तो उसको रोकने के लिए भी क्वीन मेरी में कोई खास इंतजाम नहीं था।

शनिवार रात को रेडिएंट हीटर और ऑक्सीजन सप्लाई में लगी आग से सात दिन का नवजात 20 फीसदी जल गया है। नवजात का इलाज एनआईसीयू में चल रहा है, उसकी हालत गंभीर है। ये एक दु:खद घटना है और इसमें लापरवाही का कोई मामला नहीं है। बच्चे का इलाज चल रहा है और जिंदगी बचाना प्राथमिकता है । –माला कुमार, हेड, बाल रोग विभाग केजीएमयू

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