इरफ़ान शाहिद:NOI।
अभी तक जो काम विपक्षी पार्टियां करती नज़र आती थी अब वही काम वो वर्ग भी करता दिखाई देने लगा है जो आम लोगों को देश के हालात से रूबरू कराने का काम करता था जिसकी लिखी बात पर जनता भरोसा करती थी उसी सोर्स ने एक ऐसी बात सोशल मीडिया पर लिख दी जिसे बाद में अपनी गलती बता कर पल्ला झाड़ना पड़ा क्योंकि बात देश के प्रधानमंत्री के लिए कही गई थी।
आपको अब तक पता ही चल गया होगा कि न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस ने एक खबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को किस तरह से प्रकाशित किया हम आपको वो शब्द ना बता कर उसका मतलब बताते हैं उसका मतलब था नरेंद्र ज़्यादा बोलने वाला मोदी।ये बात जैसे ही सुर्खी में आई तो तुरन्त एजेंसी के सम्पादक को कारण बताओ नोटिस दे दिया गया कारण गलती ही सामने आया पर सवाल ये है कि ये वाकई गलती थी या लिखने वाले ने अपने अंदाज में पीएम साहब का माखोल उड़ाया था।
ये खबर वायरल होने के बाद फेसबुक पर कई कमेंट आने लगे कोई इसे गलती बता रहा था तो कोई इसको उस व्यक्ति के मन की बात कर के सम्बोधित कर रहा था वही कोई इस पर अपनी नाराजगी जताता नज़र आया तो कोई बात के समर्थन पर टिका दिखाई दिया।
अब यहां देखने वाली बात यही है कि 2014 से अब तक देश की जनता के साथ किये गए वादों को पूरा ना होते देख ये जनता की आवाज़ है या वाकई यहां एक ब्लंडर मिस्टेक हुआ है जो भी है इस खबर ने सुर्खी तो खूब बटोरी लेकिन एक सवाल वही का वही रह गया कि क्या ये वाकई एक गलती थी या मन की बात।