नई दिल्ली, मो इरफान शाहिद। मॉब लिंचिंग की घटनाएं पिछले दो-तीन से लगातार हो रही है। बीफ और गाय को लेकर गौरक्षक दलितों और मुस्लिमों को निशाना बनाते हैं। गौरक्षकों के इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई वहीं कई लोग जख्मी हो गए। शासन-प्रशासन इन गौरक्षकों पर लगाम लगाने में विफल रही है। इस तरह की हिंसाओं के खिलाफ आवाज उठने लगे हैं। जून महीने में हरियाणा एक ट्रेन में जुनैद की भीड़ द्वारा हत्या के बाद भारत समेत पूरे विश्व में ‘नॉट इन माई नेम कैंपेन’ चलाया गया। इसी कड़ी में रविवार (7 जलाई 2017) को राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर ‘लहू बोल रहा है’ के बैनर तले प्रदर्शन किया गया।
गौरक्षा और मजहब के नाम पर लोगों की हत्या करने के खिलाफ मशहूर युवा शायर इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा सोशल मीडिया के जरिए राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर बुलाए गए प्रदर्शन में एक बार फिर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। इमरान प्रतापगढ़ी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘मॉब लिंचिंग की देशभर में जितनी भी घटनाएं हो रही हैं, दरअसल ये मॉब लिंचिंग नहीं बल्कि ये मोबलाइज लिंचिंग है। इसके पीछे एक एजेंडा है। दुनिया में गाय की जितनी बई नस्ले हैं वो दूध देती हैं। लेकिन भारत में गाय की एक नस्ल है जो वोट देती है। उस भीड़ के एजेंडे से वोट दूहने का काम किया जा रहा है।’ इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने अंदाज में नज्म की कई पंक्तियां पढ़ीः पूछता है तिलक से वज़ू चीखकर आमने-सामने रूबरू चीखकर गाय के नाम पर जो बहाया गया पूछता है हमारा लहू चीखकर जब मेरा और तेरा एक ही रंग है तो बताओ भला किस लिए जंग है।
जंतर-मंतर पर ये प्रदर्शन अपने आप में अनूठा था। लोग एक तरफ प्रदर्शन कर रहे थें वहीं दूसरी तरफ लोग रक्तदान कर रहे थें। खून देकर विरोध जताने के इस पहल पर मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि ‘हम सरकार और उस कातिल भीड़ से कहना चाहते हैं कि आप हमारा खून सड़क पर क्यों बहा रहे हैं? ये खून सेना के किसी जवान के काम आएगा, हिंदुस्तान के काम आएगा, भारत के किसानों के काम आएगा। यह अनोखा विरोध है। विश्व में आज तक खून देकर प्रदर्शन करने का कभी कोई उदाहरण नहीं सामने आया।’ प्रदर्शनकारियों ने कहा कि खून को नफरत के नाम पर न बहाया जाए। ये खून देश के किसान और जवान के काम आ सकता है। इस प्रदर्शन और रक्तदान का मकसद ‘मज़हब के नाम पर बहाए जा रहे खून’ को रोकना था। जंतर मंतर पर प्रदर्शन का हिस्सा रहे और रक्तदान करने वाले दानिश कहते हैं कि ‘दलित, मुसलमान या हिंदू भाई कोई भी हों, एक भीड़ आती और मारकर चली जाती है। इस तरह कई जानें चली गईं और सरकार इस भीड़ के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है। सरकार की खामोशी से जाहिर होता है कि वह इसी भीड़ के साथ है जो लोगों की हत्या कर रहे हैं।’ मॉब लिंचिग के खिलाफ चलाए गए इस आंदोलन के निशाने पर सीधे तौर पर बीजेपी और केंद्र सरकार थी। इस प्रदर्शन में आम लोगों के अलावा राजनीतिक दलों के नेता भी नजर आए।
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन में मौजूद आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘इस देश में चंद गुंडे गाय के नाम पर किसी चौराहे पर इंसान की हत्या कर दें, उसके खिलाफ अपना खून दान करके एक अच्छा संदेश देने का प्रयास अगर कहीं हो रहा है, तो उसमें सबको शामिल होना चाहिए. मैं तो कह रहा हूं कि मोदी जी को भी यहां आना चाहिए, मोहन भागवत को भी आना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझना चाहिए कि देश क्या चाहता है।’ संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आकर प्रदर्शन में शामिल हो कर रक्तदान करने को कहा। उन्होंने कहा कि जो इस देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे कभी सफल नहीं होंगे।
दिव्यांग होकर भी सीतापुर से आये ब्लड देने
यूपी के सीतापुर जिले के रहने वाले व पढ़ाई में लॉ ग्रेजुएट किये मेराज अख्तर अंसारी(29) ने भी इस प्रोग्राम में शिरकत कर विरोध के इस अलग अंदाज का साथ दिया। जबकि डॉक्टर्स की टीम ने उनका खून लेने से मना कर दिया लेकिन वहाँ मौजूद सभी ने मेराज के इस हौसले को सलाम किया। वहीं दूसरी ओर मेराज का कहना था कि ,” मैं हमेशा देश के लिए, सेना के जवानों व सभी हिदनुस्तानियों के लिए अपना लहू देने को हमेशा तैयार हूं”।
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