पटना। विपक्षी एकता की अगुवाई करने वाले राजद अध्यक्ष लालू यादव अब कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं। महागठबंधन में चल रही रस्साकशी के बीच लालू यादव ने अपनी रैली ‘भाजपा भगाओ-देश बचाओ रैली’ का एलान किया था, लेकिन लालू को करारा धक्का तब लगा जब गठबंधन तोड़ जदयू ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बना ली और अब विपक्ष के दिग्गज नेताओं ने भी लालू की रैली से किनारा कर लिया है।
लालू को शरद का मिला सहारा
लेकिन दिग्गजों का साथ छूटने के साथ ही लालू को एक मजबूत डोर मिली है शरद यादव की जो रैली का हिस्सा होंगे और लालू के सुर में सुर मिलाएंगे। हालांकि इसका खामियाजा शरद यादल को उठाना पड़ेगा। लेकिन इसको नकारते हुए शरद यादव अब लालू की रैली में शामिल होंगे। इसका एलान आज जदयू के निलंबित सांसद अली अनवर ने की है।
विपक्षी एकता हो रही कमजोर
जिस वक्त लालू ने रैली का एलान किया था,उस वक्त उनमें अात्मविश्वास झलक रहा था, क्योंकि बिहार में राजद जदयू और कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन भ्रष्टाचार में घिरे लालू परिवार से अपना किनारा करते हुए जदयू ने महागठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी के समर्थन से बिहार में सरकार बना ली।
इससे लालू को गहरा धक्का लगा और उसके बाद लालू लगातार नीतीश कुमार और बीजेपी पर जुबानी हमला कर रहे हैं और अपनी रैली का प्रचार-प्रसार कर लोगों की भीड़ जुटाने में लगे हैं। लेकिन लोगों की भीड़ जुटे ना जुटे लेकिन अब लालू की रैली से तमाम दिग्गज नेताओं ने दूरी बना ली है।
लालू अपनी इस रैली के माध्यम से बिहार में राजद की सियासी जमीन को बचाने में लगे हैं, लेकिन महागठबंधन का हिस्सा रही कांग्रेस के बड़े नेताओं के नहीं आने से मायूसी जरूर होगी। लालू ने खुद बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस रैली में शामिल नहीं होगी।
मायावती को अॉफर किया था राज्यसभा नेता का पद
इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती भी रैली में शामिल होने से इनकार कर चुकी हैं। मायावती ने जहां नहीं आने के संकेत दे दिए, वहीं मुलायम रैली में अखिलेश के साथ दिखेंगे इसकी उम्मीद भी कम है। ये तीन चेहरे बेशक यूपी की सियासत से हैं और लालू की रैली में आने से इंकार करना लालू की उम्मीद को तोड़ने जैसा होगा।
वैसे लालू और उनका परिवार 27 अगस्त को विपक्षी एकता को दिखाने की पूरी तैयारी में लगा है। उल्लेखनीय है कि लालू सार्वजनिक मंच से मायावती को राज्यसभा भेजने की बात कह चुके हैं, इसके बावजूद मायावती का राजद की रैली में शामिल न होना बताता है कि राजनीतिक सौदेबाजी में अभी सही मूल्यांकन का सबको इंतजार है।
रैली में अन्य दलों का आना भी अभी तय नहीं
वैसे कांग्रेस और वाम दल के अलावा अब तक इस रैली को लेकर अन्य किसी दल ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जबकि भाजपा विरोधी 18 दलों को निमंत्रण भेजा गया है। ममता ने पहले जरूर पटना आने की बात कही थी, लेकिन उनके ताजा बयान प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनके नरम रुख को दिखा रहा है, हालांकि ममता और अखिलेश रैली का हिस्सा बन सकते हैं।
शरद यादव हैं लालू का बड़ा सहारा, लेकिन….
लालू के लिए जदयू में फूट को मजबूती देने के लिए शरद यादव बड़ा सहारा हैं लेकिन जब तमाम बड़े दिग्गजों ने रैली से किनारा कर लिया है तो उनके लिए भी हां करना मुश्किल था लेकिन इसे दरकिनार कर शरद ने रैली में आने की हामी भर दी है, भले ही शरद यादव को जदयू पार्टी से निकाल दे शरद लालू का साथ देंगे।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा यह भी चल रही है कि राजग में उनके बेटे के लिए जगह नहीं बन रही थी, जबकि जदयू से अलग होकर उन्होंने बेटे के लिए बिहार और दामाद के लिए हरियाणा में जमीन पा ली है।
जदयू ने कहा- रैली में वही आएंगे जो भ्रष्टाचार के संरक्षक हैं
जदयू की मानें तो यह भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार के समर्थन में रैली हो रही है। जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि रैली में वही शामिल होंगे जो भ्रष्टाचार और परिवारवाद के संरक्षक हैं। एेसे बयान के बाद वही लोग आएंगे जो भ्रष्टाचार के पक्षधर हैं, यह एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है जदयू ने, जिससे हर कोई कन्नी काट रहा है।
बाढ़ भी बनी बाधा
अब लालू के लिए अपनी रैली के लिए जिन बड़े चेहरों की तलाश थी उन्होंने अभी किनारा कर लिया है। एक ओर बिहार बाढ़ की विभीषिका झेल रहा है तो वहीं कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं तो एेसे में लालू की रैली के लिए भीड़ भी शायद ही इकट्ठी हो सके।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग अभी खुद ही रोटी-पानी को लेकर परेशान हैं तो एेसे में रैली में कैसे आ सकेंगे? हो सकता है कि राजद सुप्रीमो 27 की रैली को बाढ़ के मद्देनजर कुछ दिनों के लिए टाल भी सकते हैं।