
न्यूज वन इंडिया के लिए प्रियांशू
हमारी पीढ़ी, जो दलित बस्ती में जाने से पहले वहां साबुन बंटवाने वाला नेता देखकर बड़ी हो रही है, जो भाषण के नाम पर धोखाधड़ी और सांप्रदायिक जहर उगला जाता देख रही है और ज्ञापन सौंपने पहुंचे छात्रों को पीटकर उन पर रासुका लगाया जाता देख रही है।
उसके लिए यह देखना कितना दिलचस्प होता कि एक सूबे का मुख्यमंत्री लाठी लेकर बिना लाव लश्कर, दो सिपाहियों के साथ किसी भी दलित बस्ती में पूछने पहुंच जाता कि कोई आपको सता तो नहीं रहा?
वह हेलीकॉप्टर लेकर निकल जाता और चरवाहों, ताड़ी इकट्ठा करने वालों, मैला ढोने वालों, खेतिहर मजदूरों, मछुआरों, सुअर और मुर्गी पालने वालों के बीच उतरवाकर उनकी पीड़ाएं सुनता और उन्हें और उनके बच्चों को उड़नखटोले पर बिठाकर खुले मैदान के चक्कर लगवाता।
उसके मुताबिक, यह कोई स्टंट नहीं था। यह अति गरीब, अति साधारण और पीढ़ियों से सताए जा रहे लोगों के खत्म हो चुके आत्मविश्वास को बहाल करने की कोशिश थी।
उसका यह गैर पारंपरिक तौर-तरीका साधारण लोगों के लिए किसी सांस्कृतिक झटके की तरह था।
लेकिन जब तक हमारी पीढ़ी की समझ विकसित हुई लालू यादव की जमीनी और जादुई राजनीति ढलान पर थी।

और हमारे हिस्से आया चारा घोटाले की कहानियां, मीडिया की ओर से किया जा रहा उनका कैरेक्टर Assassination, परिवारवाद और बड़ी जातियों के खिलाफ किए गए लालू के कथित जुर्म।
हमने उस लालू को देखा ही नहीं जो डीएम, एसपी को साथ लिए चीथड़ा पहने खड़े लोगों से कह रहा है, ‘आप लोग मालिक हैं। ये वोट का राज है। इसका मतलब आप राजा हैं। ये ऑफिसर लोग पब्लिक सर्वेंट हैं। आपका सर्विस करना इन लोगों का काम है। डरना नहीं।’
लेखक युवा पत्रकार हैं। उनसे 7827501916 पर संपर्क किया जा सकता है।