उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटिंग से पहले एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस द्वारा किये गये ओपिनियन पोल सर्वे के मुताबिक सपा-कांग्रेस गटबंधन बहुमत के जादुई आंकड़े 201 सीटों के करीब पहुंचती दिख रही है। इस ओपिनियन पोल सर्वे को यूपी की 65 विधानसभा क्षेत्रों के 6 हजार 481 लोगों से बात कर तैयार किया गया है। ओपिनियन पोल सर्वे के मुताबिक सपा-कांग्रेस गटबंधन को 187 से 197 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा गटबंधन को 118-128 सीटों तक मिलने की बात कही गई है। वहीँ मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी को 76-86 सीट मिलती दिख रही है। इस सर्वे के आंकड़ो को देखा जाए तो सपा-कांग्रेस के गटबंधन से सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को होता दिख रहा है।
सर्वे में सीएम के तौर पर पहली पसंद को लेकर किये गए सवाल पर अखिलेश यादव की लोकप्रियता वोटरों की राय जानी गई। सीएम की पहली पसंद के तौर पआर अखिलेश यादव की लोकप्रियता में दो फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वहीँ बीते महीने में किये गये ओपिनियन पोल में वोटरों से सीएम की पहली पसंद पूछी गई थी। बीते महीने 28 फीसदी की पसंद अखिलेश थे लेकिन जनवरी में इसी सवाल पर अखिलेश 26 फीसदी वोटरों की पसंद बने। यानी महीने भर में दो फीसदी लोकप्रियता घटी अखिलेश की। हालांकि ये गिरावट मामूली ही कही जाएगी।
ओपिनियन पोल सर्वे के अनुसार एसपी-कांग्रेस गठबंधन के बाद सपा गठबंधन के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है। पुर्वांचल की 142 सीटों की बात करें तो एसपी गठबंधन को 33 प्रतिशत, बीजेपी गठबंधन को 27 प्रतिशत, बीएसपी को 22 प्रतिशत और अन्य दलों को 18 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिलने की संभावना है। रोहिलखंड और पश्चिम यूपी की 96 सीटों में एसपी गठबंधन को 37 प्रतिशत, बीजेपी गठबंधन को 30 प्रतिशत, बीएसपी को 18 प्रतिशत लोगों और अन्य दलों को 15 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल सकता है। दोआब-बुंदेलखंड की 92 सीटों में भी सपा गठबंधन आगे दिख रहा है।
सर्वे की माने तो एसपी गठबंधन को 34 प्रतिशत, बीजेपी को 27 प्रतिशत तो बीएसपी को 29 प्रतिशत और अन्य दलों को 10 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा है। अवध की 73 सीटों में भी एसपी गठबंधन सबसे आगे है लेकिन बीजेपी से कड़ी टक्कर है. एसपी गठबंधन को 38 प्रतिशत, बीजेपी को 35 प्रतिशत, बीएसपी को 27 प्रतिशत और अन्य को एक प्रतिशत समर्थन मिलने की संभावना है। बीजेपी के लिए सर्वे का परिणाम चिंता करने वाला है. आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाने से बीजेपी के वे कार्यकर्ता जो मोदी और आदित्यनाथ को पसंद करते हैं वह उतने जोर शोर से प्रचार नहीं कर रहे हैं जितना एक महीना पहले सक्रिय थे।