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Monday, January 20, 2025

वन विभाग की लापरवाही से वनों का अस्तित्व संकट में पड़ा।

शरद मिश्रा”शरद”

लखीमपुर:NOI-उत्तरप्रदेश जनपद लखीमपुर खीरी:- पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में पौधों की अहम भूमिका होती है। पर्यावरण को पौधे ही हरा-भरा रखते हैं। इसी कारण सरकार ने वनों के अलावा अन्य स्थानों पर सरकारी भूमि पर लगे पौधों की रक्षा के लिए जिलाभर में सैकड़ों वन कर्मियों को तैनात किया है। तीन दशक पहले जहां वनों की रक्षा के लिए राज्य में वन विभाग का एक ही विंग होता था, वहां आज पौधों की अहमियत को देखते हुए चार-चार विंग बनाए गए हैं ताकि सरकारी भूमि और वनों के कटाव को रोका जा सके। एक विंग सोशल फॉरेस्ट्री को तो सिर्फ पौधे लगाने और उनका संरक्षण का जिम्मा सौंपा गया है। इसके अलावा वन संरक्षण बल भी गठित की गई है, लेकिन उसके बाद भी वनों और सरकारी भूमि से हरे पौधों का काटना जारी है। हैरानी तब होती है जब वन अधिकारियों के कार्यालय के नजदीक हरे पौधों को काट कर ट्रालियों में भर कर फैक्टरियों में व्यवसायीकरण के लिए पहुंचाई जाती है, लेकिन वन विभाग के सैकड़ों कर्मी इसे रोकने में असमर्थ हैं। अगर वनों की रक्षा का जिम्मा संभाले इन अधिकारियों के पास कोई शिकायत आती भी है तो उनका जवाब होता है कि इसकी अनुमति जिला रेवेन्यू विभाग दे रहा है। हालांकि वनों और सरकारी भूमि पर सामाजिक उद्देश्य से लगे पौधों की रक्षा करना वन विभाग के अधिकारियों का दायित्व बनता है। तभी तो सरकार ने टेरीटोरियल, सामाजिक, वन संरक्षण बल, वन्य जीव संरक्षण व वन निगम नामक कई विंग बनाए हैं। इसके बावजूद हर स्थान पर पौधों का काटना जारी है। यही कारण है कि जनपद लखीमपुर खीरी के लुधौरी रेंज व बेलरायां रेंज के जंगल खाली हो गए हैं। वनों के कटने से पर्यावरण में घोर संकट मंडराने लगा है अगर ऐसे ही वनों का अस्तित्व खतरे में पड़ा रहा तो हमारे आसपास का पर्यावरण दूषित रहेगा जो अनेकों बीमारियों से ग्रषित होगा न ही शुद्ध ऑक्सीजन हमको पर्याप्त मात्रा में मिल सकेगी। इन सब कारणों को देखते हुए इन दिनों वन विभाग की घोर लापरवाही सामने आ रही है।

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