नई दिल्ली। ये कितने आश्चर्य की बात है कि मोहब्बत के दिन यानी कि वैलेंटाइन डे के दिन सोशल मीडिया पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह ट्रेंड हो रहे हैं। कुछ महानुभावों ने अपने अधकचरे ज्ञान के कारण सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैला दी कि आज के दिन देश के इस वीरपुत्र को फांसी दी गई थी, और लोग आज के दिन शहीद-ए-आजम को याद करने के बजाय वैलेंटाइन डे मना रहे हैं।
भगत सिंह और 14 फरवरी
जबकि ये बात सरासर गलत है, आज के दिन ना तो शहीदों को फांसी दी गई थी और ना ही आज के दिन उन्हें कोई सजा सुनाई गई थी, 14 तारीख और भगत सिंह का रिलेशन सिर्फ इतना है कि आज के दिन प्रिविसी काउंसिल द्वारा अपील खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था।
हर वायरल बात सच नहीं होती
लेकिन ना जाने इतिहास के इन महत्वपूर्ण तारीखों को किन लोगों ने छेड़ा और एक नहीं कहानी गढ़ दी और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसलिए लोगों से अपील है कि किसी भी चीज या मुद्दे को तब तक वायरल ना करें जब तक कि आपको उसकी पुख्ता जानकारी ना मिलें वरना अधकचरा ज्ञान आपके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
खास बातें
- भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 7 अक्टूबर 1930 को फांसी की सजा सुनायी थी।
- तीन शहीदों के अलावा उनके 12 साथियों को भी उम्रकैद की सजा दी गई थी।
- 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी लेकिन ऐन वक्त पर आदेश में परिवर्तन हुआ।
- और उसके बाद तीनों पुत्रों को 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 बजे फांसी दे दी गई।