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Thursday, September 19, 2024

विकासखण्ड मिश्रित के अधिकारी एवं कर्मचारी नही मानते प्रदेश शासन का निर्देश

अनूप पांडेय,विमल मिश्रा:NOI।

उत्तर प्रदेश सीतापुर -मिश्रिख / अपने कारनामों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाला विकासखण्ड मिश्रित योगी राज में भी भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा चल रहा है यहॉ पर तैनात निरंकुश अधिकारी एवं कर्मचारी निविदा शर्तों के विपरीत दोष पूर्ण टेंडर प्रकाशन प्रक्रिया अपना कर ग्राम पंचायतों में कराये जाने वाले विकास कार्यों को भी प्रभावित कर रहे है यह मामला लम्बे समय से क्षेत्र में काफी चर्चा का बिषय बना हुआ है बावजूद इसके भी प्रदेश शासन और जिला प्रशासन दोष पूर्ण व्यवस्थाओं पर अंकुश लगाने में असमर्थ ही साबित हो रहा हैं गौरतलब हो कि विकासखण्ड मिश्रित में 71 ग्राम पंचायते समांहित है इन ग्राम पंचायतों में बिकास कार्य कराने हेतु निबदा आमंत्रित करने के शक्त निर्देश जारी है परन्तु यहॉ पर तैनात प्रभारी खण्डविकास अधिकारी एवं सहायक बिकास अधिकारी की उदासीनता के चलते निरंकुश ग्राम विकास अधिकारियों और ग्राम प्रधानो द्वारा दोष पूर्ण टेन्डर प्रकाशन प्रक्रिया अपना कर शासन की स्पष्ट नीतियों और पारदर्शिता को करारा झटका लगाया जा रहा है । यहां पर तैनात सहायक विकास अधिकारी विजय कुमार शुक्ल ब्लाक मुख्यालय पर देर सबेर पदार्पण करते है। जिससे उनके अधीनस्त ग्राम विकास अधिकारी मनमाने तरीके से सभी विकास कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। यहां की सभी ग्राम पंचायतों में राज्य बित्त / चौदवें वित्त आयोग एवं मनरेगा आदि से कराए जाने वाले विकास कार्यों हेतु निविदा आमंत्रित करने के सक्त शासनादेश जारी है। लेकिन ग्राम पंचायतों में दोष पूर्ण टेन्डर प्रकाशन प्रक्रिया अपना कर सिर्फ खाना पूर्ती की जा रही है जो निविदा शर्तों के विपरीत है ।सूत्रों की माने तो ग्राम पंचायतों में कार्य योजनाओं के आधार पर ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधानों की मिली भगत से सभी विकास कार्यों को पहले ही पूर्ण करा लिया जाता है बाद में खाना पूर्ती करने हेतु बैक डेट में दोष पूर्ण टेंडर प्रकाशन ऐसे समांचार पत्रों में कराया जाता है जो कभी तहसील और ब्लाक मुख्यालय तक आते ही नही है इन दोष पूर्ण टेन्डरो का प्रकाशन ग्रामविकास अधिकारियों व्दारा कुछ मुंह लगे दलालों से कमीशन पर कराया जाता है यह दलाल पता नही दोष पूर्ण टेन्डरों का प्रकाशन पता नही बैक डेट में कहॉ से कराकर फर्जी बिल भी उपलब्ध करा देते है जिस पर सम्बंधित प्रेस व बिज्ञापन प्रसार प्रवंधक आदि के कोई हस्ताक्षर एवं मोहर मौजूद नही होती है ये दलाल प्रकाशित कराये गये टेन्डरों की धनराशि चेक सम्बंधित समांचार पत्र के नाम न बनवाकर स्वयं अपने नाम बनवाते हैं और सम्बंधित बैंकों से उसका पेमेंट करा कर ग्राम विकास अधिकारियों से तय सुध्दा कमीशन के आधार पर आपस मे बन्दर बॉट कर लेते है जिससे प्रदेश शासन की स्पष्ट नीति को जहॉ करारा झटका लग रहा है वही ग्राम पंचायतों के सभी विकास कार्य भी बौने होकर रह गए हैं जब कि प्रदेश सरकार ने इस काली कमांई पर कड़ा प्रतिबंध लगाने हेतु ऐसे सैकड़ों अखबारों को ब्लैक लिस्टेड करते हुए ग्राम पंचायतों में कराये जाने वाले विकास कार्यों की निबिदाओं को लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रीकृत समांचार पत्रों में प्रकाशित कराने के कड़े दिशा निर्देश जारी किये है जो ब्लाक मुख्यालय से लेकर तहसील मुख्यालय तक प्रतिदिन आते हो लेकिन यहॉ पर तैनात ग्रामविकास अधिकारियों की निरंकुश कार्य शैली के चलते टेन्डर प्रकाशन प्रक्रिया महज खाना पूर्ती बनकर रह गई है और प्रदेश सरकार का यह महत्वपूर्ण आदेश सिर्फ हवा हवाई ही साबित हो रहा है ।इस लिए यहां की आम जनता ने जिला प्रशासन एवं प्रदेश शासन का ध्यान इस ओर आकर्षित कराते हुए प्रकाशित कराये गये दोष पूर्ण टेंडरों पेमेंट रोंक कर निष्पक्ष जांच कराते हुए दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है ।

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