सीतापुर-अनूप पाण्डेय, राकेश पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के हरगाँव गरीबों के जीवन को ऊंचा उठाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार चाहे जितना भी जोर लगा दे लेकिन सरकार के मंसूबों पर विकासखंड स्तर के अधिकारी व ग्राम प्रधान तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर सरकार के मंसूबों पर ग्रहण लगा रहे है।
इसकी एक बानगी विकास खण्ड हरगाँव के ग्राम पंचायत फिरोजपुर गडसारी की ग्राम फीरोजपुर में देखने को मिली जहाँ पर अनुसूचित जनजाति के कंजड़(गिहार) जाति के लोग गरीबी की हालात में जिंदगी गुजार रहे है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हरगाँव थाने के अन्तर्गत विकास खण्ड हरगाँव के ग्राम पंचायत फिरोजपुर गड़सारी के मजरा फिरोजपुर में घुमंतू जाति कंजड़ (गिहार) के कुछ परिवार रहते है जो बड़ी दयनीय स्थिति में अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं ।
गिहार परिवार के संजय व कल्लू ने बताया कि हम लोगों के लगभग गांव में पचास परिवार है जिसमें से मात्र आठ लोगों को ही आवास मिलें है जो अभी तक सभी अपूर्ण है । शेष सभी चालीस से अधिक परिवार नरकीय जीवन जीने को बाध्य हैं।
प्रधान ने पक्षपातिक रवैया अख्तियार करते हुए बने हुए मकान वालों को ही आवास दिया गया है शौचालय भी सभी अपूर्ण हैं जो स्वच्छताअभियान के नाम पर ठेंगा दिखाते हुए प्रतीत हो रहे हैं ।वहीं ग्राम प्रधान मालामाल हो गये ।वाह भृष्टाचार तेरा सहारा वाला कानून के सहारे पर प्रधान गण कार्य कर रहें है जो जांच का विषय है ।
इसके अतिरिक्त विकासखण्ड हरगांव की ग्राम सभा भदेंवा, रीछिन, सिकन्दरपुर, भीखपुर, बेलामऊ कलां, तथा गुरधपा में भी पचासों लाख का घोटाला नजर आएगा यदि ईमानदारी से निष्पक्षता पूर्ण तरीके से जांच करी जाए। लेकिन खाऊ कमाऊ नीति के तहत निष्पक्ष जांच होना कम से कम इस सरकार में तो संभव नहीं है कारण यह है विकास खण्ड हरगांव की ग्राम सभा भदेंवा में चरम सीमा पर लगातार की लगातार खबर प्रकाशित किए जाने के बाद जनपद के जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा भृष्ट ग्राम प्रधान के विरुद्ध कार्यवाही करने के निर्देश विकास खंड स्तर को दिये गये। लेकिन खाऊ कमाऊ नीति के तहत ब्लॉक स्तर के जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा भृष्ट ग्राम प्रधान के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इसी प्रकार ग्राम पंचायत गुरधपा में चरम सीमा पर भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित की गई। लेकिन उसी नीति के तहत कार्यवाही नहीं हुई जबकि ग्राम सभा में ग्राम प्रधान एवं सचिव धनंजय भार्गव की सांठगांठ से सरकारी धन का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है। इस ग्राम पंचायत में गांव से लगभग 500 मीटर से अधिक दूरी पर अपनी चीमा मार्केट के सन्निकट अपनी सुख सुविधा को ध्यान में रखकर सुलभ शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। इस सुलभ शौचालय से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है इस निर्माण को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश पनप रहा है।
सूत्रों के अनुसार ग्राम पंचायत गुरधपा में लगे इण्डिया मार्का हैंडपंपों में भी जमकर धन उगाही की गयी है ग्रामीणों ने बताया कि ₹5000/- देने के बाद नल लगवाया जाता है। ग्राम प्रधान के मुनीम ने बताया कि पिछले वर्ष तालाबों के किनारे किनारे एक हजार से अधिक वृक्षों का रोपण कराया गया लेकिन मौके पर एक भी पेड़ मौजूद नहीं मिला।
इस संबंध में मुनीम ने बताया कि सरकारी पेड़ कभी भी नहीं चलते हैं यहां पेड़ों को तो पशुओं ने नष्ट कर दिया। इस प्रकार ग्राम सभा में वृक्षारोपण के नाम पर भी घोटाला किया गया है । ग्राम पंचायत गुरधपा में प्रधान के बताए के अनुसार 500 शौचालयों का निर्माण कराया गया उसमें प्रति शौचालय लाभार्थी को ₹10000 का भुगतान किया गया। बाकी ₹2000 का भुगतान लाभार्थी को आज तक नहीं किया गया है। इस प्रकार शौचालयों के नाम पर 1000000 रुपए का घोटाला किया गया है।
सूत्रों के अनुसार आवासों में भी बड़े पैमाने पर धन उगाही की गई है । पात्र लाभार्थी अभी भी झोपड़ी डाल कर रहने को मजबूर हैं इसी तरह मनरेगा के कार्यों में तालाब व ड्रेन खुदाई के नाम पर बड़े पैमाने पर सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है। निष्पक्षता पूर्वक यदि इन प्रधान जी के पांच वर्षों में किए गए कार्यों की जांच करा दी जाए, तो काफी घोटाला उजागर हो सकता है।
अब देखना यह है कि क्या ग्राम पंचायतों में हुये घोटालों की निष्पक्ष जांच हो पाएगी या यूं ही सरकारी धन पर भृष्ट प्रधान व सचिव अपनी हुकूमत बरकरार रखेंगे यह भविष्य के गर्भ में है।