नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का नजारा भी मानसून सत्र के अलग नहीं दिख रहा है। विपक्षी दलों ने संसद के दोनों सदनों में विभिन्न मुद्दों को लेकर हंगामा किया और लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। तृणमूल कांग्रेस जहां अपने दो सांसदों की गिरफ्तारी के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी, वहीं कांग्रेस और वामपंथी दलों ने सरकार पर सांसद ई अहमद की मौत को छुपाने का आरोप लगाते हुए संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग को लेकर हंगामा किया। दूसरी तरफ भाजपा सांसद भी मेरठ में व्यापारी की हत्या के विरोध में नारेबाजी करते दिखे।
कांग्रेस और वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार ने बजट पेश करने के लिए ई अहमद की मौत को छुपाए रखा। उनके अनुसार ई अहमद की मौत राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान दिल का दौरा पड़ने के तत्काल बाद हो गई थी। लेकिन सरकार ने इसे जानबूझकर छुपाए रखा ताकि बजट को समय पर पेश किया जा सके। कांग्रेस का कहना था कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी उनसे नहीं मिलने दिया गया। यहां तक ई अहमद के परिवार वालों को भी उनसे दूर रखा गया। उनका कहना था कि ई अहमद की मौत की सच्चाई सामने आनी चाहिए और पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराई जाए। लेकिन सरकार की ओर अनंत कुमार में इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सांसद की मौत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अस्पताल पहले ही विस्तृत रिपोर्ट जारी कर चुका है।
दूसरी ओर चिटफंड घोटाले में अपने दो सांसदों की गिरफ्तारी को लेकर तृणमूल कांग्रेस दोनों सदनों में हमलावर रही। लोकसभा और राज्यसभा में तृणमूल सांसदों ने हंगामा किया और बाद में वाकआउट कर गए। बाद में वे संसद परिसर में महात्मा गांधी की मूर्ति के पास धरने पर भी बैठे। तृणमूल कांग्रेस सरकार पर सीबीआइ के दुरूपयोग का आरोप लगा रही है। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सीबीआइ के दुरूपयोग और नोटबंदी के दौरान 120 लोगों की मौत पर अलग-अलग नोटिस भी दिया। उनका कहना था कि नोटबंदी के कारण मरने वालों को श्रद्धांजली देने के लिए सदन मं दो मिनट का मौन रखा जाना चाहिए।
विपक्षी दलों के हंगामे के कारण दो बार लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। लेकिन हालात में सुधार नहीं देखते हुए पूरे दिन के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई। गौरतलब है कि विपक्षी दलों के हंगामे के कारण पूरे शीतकालीन सत्र में कोई भी काम नहीं हो सका था।