इरफान शाहिद:NOI।
बात पुरानी है पर दर्द नया है ये तस्वीर है ठाकुर गंज स्थित नानक नगर की जहां काफी मशक्कत के बाद विधायक जी की मेहरबानी से इंटरलाकिंग हो पाई थी।इस इंटरलाकिंग की वजह से नानकनागर के लोग सुकून से अपने क्षेत्र में चहल कदमी कर पा रहे थे
वाहन भी बिना हिले डुले आराम से आ जा रहे थे लग रहा था अब ये सड़क ऐसे ही शानदार बनी रहेगी लेकिन नगर निगम से ठेकेदारी कर रहे ठेकेदारों की नज़र इस सड़क पर क्या पड़ी के वहां की तस्वीर ही बदल गई।
अचानक दल बल के साथ विभागीय लोग आए और कहने लगे सरकारी काम है इसमें दखल ना दीजिये सड़क खोद कर पाइप डाला जाएगा जिससे घरो का पानी और सीवर लाइन सब बाहर ही होगी मतलब जो घर के बाहर नालियां बरसों से बनी हैं वो बन्द होंगी और पानी भूमिगत जाएगा बताइये ज़मीन के ऊपर दिखने वाली गंदगी तो इनसे साफ कराते नही बनती अंदर चोक हुआ तो घरो का क्या हश्र होगा।
खैर सरकारी काम है ले दे के टेंडर भी हो ही गया होगा तो ठेकेदार महोदय ने ना मौसम देखा ना मोहल्ले का भौगोलिक परीक्षण किया बस लगा दिए मज़दूर और शुरू करा दी खुदाई। शुरआत में कहा था कि सब दुरुस्त कर के ही मज़दूर जायेगा लेकिन हुआ वही जिसका डर था। ये बिना सब ठीक किये निकल गए और जब बतसात ने अपना रंग दिखाया तो ये सब फरार जनता बेहाल गाड़ियां घण्टो फंसी रही बाइक़ तक निकालना दुभर हो गया था।फिर मरता क्या ना करता मोहल्ले वालों ने मलबा भरवा कर अपने आवागमन को सुगम बनाने का प्रयास किया।
लेकिन जो चीज़ एक बार खुद गई उसको लाख भरो वो बात तो नही आती ठीक वैसा ही यहां भी है बरसात में चिकनी मिट्टी फिसलने पर मजबूर कर रही है गाड़ियां आधी आधी झुक झुक के निकल रही हैं कोई विभाग या ठेकेदार पूछने नही आ रहा।उम्मीद यही है कि बरसात के बाद उनका आगमन फिर होगा रही सही कसर फिर निकालेंगे जैसा तैसा काम कर के फाईल मज़बूत करेंगे और पैसा नगर निगम से वसूल करेंगे।यहां सवाल यही है कि क्या बिना मतलब के काम का पैसा देना ज़रूरी होता है विभाग के लिए वहां वर्षों से लोग आराम से रह रहे थे किसी को कोई दिक्कत नही थी फिर भी नया फरमान ला कर अपनी जेब भरने के लिए औरों का सुकून छीन लिया क्या ऐसे ही चलता रहेगा सारा सिस्टम ? जहां ज़रूरत हो वहां धन बल लगाया जाए तो मेरे हिसाब से ज़्यादा बेहतर होगा काम ऐसा कीजिये कि जनता को आराम मिले ना कि आपको।