लखीमपुर खीरी:शरद मिश्रा-NOI। इन दिनों पक्षी गिद्ध राज विलुप्त होते नजर आ रहे कुछ समय पूर्व ये काफी संख्या में देखे जाते थे मगर अब विलुप्त होते दिख रहे है।
बताते चले की पर्यावरण को शुद्ध रखने में गिद्धों का अहम योगदान रहता है पूर्व में जब भी कोई जानवर मरता था तो उन्हें बस्ती के बाहर मैदान में डाल दिया जाता था जिन्हें पक्षी गिद्ध राज खा जाते थे।
मगर किन्ही कारणों से जानवरो के शरीर में दवाइयों का कुप्रभाव बढ़ता गया जिनका मांस खाने से गिद्धों में बीमारियां फैल गई और वह मरते चले गए और यही कारण है कि उनकी प्रजाति विलुप्त होती नजर आ रही और आज आलम यह है कि गिद्धों के न होने से मरे हुए जानवर इधर उधर पड़े रहते है और वह सड़ जाते है जिससे वह भयानक रूप से कीटाणु पैदा होते है।
गिद्धों की विलुप्तता के पीछे जब वैज्ञानिकों ने कारण का पता लगाया तो पता चला की पालतू पशुओं को जब दर्द और सूजन इत्यादि होती है तो उन्हें डाइक्लोफेनेक नामक इंजेक्सन लगाया जाता है और किन्ही कारणों से अगर जानवर बचता नहीं है तो दवा का असर उनके शरीर में ही मौजूद रहता है जब मरे हुए जानवरो को बाहर फेंका जाता है तो उन्हें गिद्ध खाते है और उस दवा का असर गिद्धों पर भी होता है और उनके अंदर भी बीमारियां फैल जाती है और वह मर जाते है।
पक्षी गिद्ध राज के विलुप्त होने से पर्यावरण को भरी खतरा पहुँच रहा है।
*News one india*