विश्वभर में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर २०१२ को मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 19 दिसंबर 2011 को इस बारे में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें बालिकाओं के अधिकारों एवं विश्व की उन बेहिसाब चुनौतियों का, जिनका कि वह मुकाबला करती हैं, को मान्यता देने के लिए 11 अक्टूबर 2012 को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ब्रेकथ्रू आपके समक्ष दो कहानियों को प्रस्तुत कर रही है|
ब्रेकथ्रू ने खेल में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया |
लखनऊ स्थित गोंसाईगंज ब्लाक के मीसा गाँव की प्रियंका को बचपन से ही खेलों में रूचि थी |. एक बच्चे के रूप में वहअक्सर गांव में अलग खेल को खेल रहे लड़कों को देखती रहती थी | उसकी पिता खुद एक बेहतरीन खिलाड़ी थे लेकिन इसके बाद भी कभी उसको खेल के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया |
जब वह पूर्व माध्यमिक विद्ध्यालय , मीसा में शामिल हुईं, तो उसे दूसरों के साथ खेल खेलने और स्कूल टीम का हिस्सा बनने का पहला अवसर मिला । उसके शिक्षकों और प्रधानाचार्य ने उसकी क्षमता को देखा और उसे पड़ोसी सरकारी स्कूलों के साथ इंटर स्कूल खेल स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए चुना गया । प्रियंका ने इनमें से ज्यादातर प्रतियोगिताएं जीतीं। उसकी इस सफ़लता ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और वह घर पर समय बिताने के दौरान भी खेल का अभ्यास और अपने प्रदर्शन में सुधार करने लगी । लेकिन वह अपनी इच्छा अपने पिता से जाहिर करने का साहस नहीं जुटा सकी।
जब ब्रेकथ्रू की कम्युनिटी डेवलपर हिना ने प्रियंका के गांव में TKT सत्र शुरू किया तो वो सक्रिय रूप से चर्चा में शामिल हुई और एक सत्र में भाग लिया । सेशन के दौरान प्रियंका ने पहली बार खेलों के प्रति अपनी रुचि और जुनून को अपनी ताकत के रूप में पहचाना और अपना लक्ष्य रखा- खेलों में उत्कृष्टता हासिल करना और खेलों की दिशा में सफल करियर की दिशा में काम करना।
इस दौरान प्रियंका ने कक्षा 9 में गोंसाईगंज स्थित रामपाल त्रिवेदी इंटर कॉलेज में एडमिशन लिया और खेलों में अपना करियर बनाने हेतु दृढ निश्चय किया | इस सफ़र में हिना ने हमेशा प्रियंका को प्रेरित किया। हिना ने प्रियंका को सुझाव दिया कि वह अपनी पॉकेट मनी की बचत शुरू करें ताकि उसके पास कुछ बचत हो जिसका इस्तेमाल वह जरूरत पड़ने पर कर सकें । उसके पिता ही अकेले घर में कमाने वाले सदस्य है जो एक बाल काटने की दूकान चलाते हैं। यह बचत उसे अपने जुनून को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा । प्रियंका को यह सुझाव पसंद आया और उसने मोबाइल खरीदने के लिए पैसे बचाने शुरू कर दिए ताकि वह खेल और संबंधित समाचारों के साथ-साथ खेल स्पर्धाओं का आयोजन करने वाले लोगों और संगठनों से संपर्क कर सकें ।
इस बीच राम पाल त्रिवेदी इंटर कॉलेज के खेल प्रशिक्षक ने भी प्रियंका की क्षमता पर गौर किया और उससे कहा कि वह एक खेल चुनें जिस पर वह ध्यान केंद्रित करें और अभ्यास करें और तदनुसार वह स्कूल के समय के दौरान अभ्यास के लिए उसे संबंधित स्पोर्ट्स किट भी देंगे । प्रियंका ने वॉलीबॉल को चुना। इस खेल में उत्कृष्टता हासिल करने में उसे लगभग एक साल लग गया । वह खेल के सभी नियमों और तकनीकी को भी समझती थी । वह कई इंटरस्कूल खेल कार्यक्रमों पर अपनी टीम का नेतृत्व करने लगी और इनमें से कई प्रतियोगिताओं को उसने जीता भी । जब वो 11वीं कक्षा में पहुँच गई तो एक दिन उसके पिता ने कहा कि वो उसकी स्कूल फीस नहीं भर पाएँगे बल्कि उस पैसे से घर की छत और दीवारों की मरम्मत करवाएँगे |
प्रियंका ने हिना के साथ अपनी यह समस्या साझा की । हिना ने उसे पॉकेट मनी की याद दिला दी जिसे वो मोबाइल के लिए बचा कर रख रही थी । हिना ने उस बचत के साथ अपने स्कूल की फीस का भुगतान करने का सुझाव दिया क्योंकि वह अधिक बचत कर सकती है और बाद में मोबाइल खरीद सकती है । वर्तमान प्राथमिकता के लिए फीस का भुगतान किया जाना ज्यादा ज़रूरी था | प्रियंका ने अपनी बचत के पैसों के साथ अपनी फीस चुकाई और इसके लिए वो हिना की शुक्रगुजार थीं जिन्होंने उन्हें पैसे बचाने के लिए प्रेरित किया था । प्रियंका ने कई ब्लॉक स्तर, जिला स्तरीय अंतर महाविद्यालय खेलकूद प्रतियोगिता में भी भाग लिया और पुरस्कार जीते। यहां तक कि उन्होंने लखनऊ शहर के प्रसिद्ध कॉलेजों में आयोजित खेल स्पर्धाओं में भाग लिया और बेशकीमती जीत हासिल की । अपने ही कॉलेज के वार्षिक खेल दिवस में उन्होंने कई खेलों और एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीते ।