नई दिल्ली, एजेंसी । महिला अंतर्राष्ट्रीय दिवस को कई लोग अलग अलग तरीके से मना रहे थे। महिलाओं का महत्व दिखाने की कोशिशें हुई लेकिन अब समय आ गया है कि महिला दिवस की चर्चा प्रतीकवाद से आगे बढ़े। प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया था कि महिला दिवस के मौके पर महिला सांसद बोले। कल संसद में कई महिला सासंदों ने अपनी बात रखी और फिर मांग उठी महिला आरक्षण की। संसद में सोनिया गांधी ने आरक्षण का मामला उठाया तो सरकार ने भी सहमति बनाने की कोशिश का रटा-रटाया जवाब दे दिया।
संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल 2010 में पास करा लिया गया था लेकिन लोकसभा में समाजवादी पार्टी, बीएसपी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों के भारी विरोध की वजह से ये बिल पास नहीं हो सका। इसकी वजह है दलित, पिछड़े तबके की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की मांग। कांग्रेस के पास 2010 में अपने दम पर बहुमत नहीं था लेकिन आज मोदी सरकार के पास ऐसी कोई मजबूरी नहीं है आखिर अब महिलाओं को उनका हक देने क्या दिक्कत है। सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति क्यों नहीं दिखा रही है।
संसद में महिलाओं का औसत देखें तो विश्व का औसत जहां 22.6 फीसदी है। संसद में महिलाओं के आंकड़ें देखें तो रवांडा 63 फीसदी के स्तर पर हैं और नेपाल में 29.5 फीसदी महिलाएं संसद में हैं। अफगानिस्तान में 27.7 फीसदी और चीन की संसद में 23.6 फीसदी महिला सांसद हैं। पाकिस्तान में भी संसद में 20.6 फीसदी महिला सांसद हैं। वहीं भारत का औसत केवल 12 फीसदी है।
आवाज़ अडड्ड में इसी मुद्दे पर इस खास चर्चा हो रही है जिसमें बीजेपी की नेता शाइना एनसी, कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी, जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन, समाजवादी पार्टी के नेता सैयद असीम वकार, राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन, ललिता कुमार मंगलम, राजनेता और सामाजिक कार्यकताई जया जेटली, महाराष्ट्र की पहली महिला आईपीएस मीरा बोरवणकर और वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी शामिल हो रही हैं।
राजनीति में महिला भागीदारी कम होने का कारण है कि महिला आरक्षण बिल 20 साल से अटका हुआ है। ये बिल 1996 में पहली बार पेश हुआ था और 2010 में राज्यसभा से पास हो गया था लेकिन लोकसभा से पास नहीं हुआ है। सपा, बसपा और आरजेडी का विरोध और कोटे के भीतर कोटे की मांग के चलते ये बिल पास नहीं हो पाया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस पर बयान दिया है कि महिला आरक्षण विधेयक का पास नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे पास कराने का असली संकल्प राजनीतिक दलों को दिखाना होगा।
वहीं उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का बयान आया है कि अब इस विधेयक को और नहीं रोका जाना चाहिए। विपक्ष की नेता सोनिया गांधी का बयान आया है कि महिला आरक्षण की लंबे समय की मांग पूरी होनी चाहिए और हमें हमारा जायज हक दिया जाना चाहिए। बीएसपी सुप्रीमों मायावती का बयान आया है कि बीएसपी 50 फीसदी महिला आरक्षण के पक्ष में है लेकिन पहले इसमें दलित, ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिले। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू का बयान आया है कि सरकार पार्टियों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रही है।