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Friday, December 13, 2024

वोट का पिटारा खुला नहीं, सीएम पहले ही घोषित हो रहे हैं

लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। आज 12 जिलों में 69 सीटों पर तीसरे चरण का मतदान हो रहा है और राजधानी की जनता अपने आने वाले भविष्य के सीएम का निर्णय ले रही  है। राजधानी की जनता अपने भविष्य को उज्जवल बनाने वाले और अपने लिए एक अच्छा नेता चुनने का निर्णय लिए हुए वोट डालने के लिए भारी संख्या में वोटिंग बूथ पर नजर आ रही है।

सभी अपने हितैषी सीएम (मुख्यमंत्री) की चमक अपनी आखों में लिए अपना कीमती वोट डालने के लिए सुबह से ही अपने सारे काम-काज छोड़ के वोटिंग बूथ पर खड़े हुए हैं। सभी ये सोचकर कर मतदान करने जा रहे हैं कि हमारा आने वाला सीएम हमारे लिए कुछ करेगा और हमारा भविष्य उज्जवल बनायेगा। हालांकि कुछ जगहों पर वोटिंग का बहिष्कार भी किया जा रहा है।

क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके जिले में कोई भी ऐसा काम नहीं हुआ है जिसका उन्हें फायदा मिला हो। लेकिन अगर बात पार्टियों की की जाये तो सभी पार्टियाँ यही कहने में लगी हुई हैं कि उनकी पार्टी के आने से पूरे उत्तर प्रदेश में सिफ्र्र काम ही काम हुआ है। और उनकी पार्टी ने ही उत्तर प्रदेश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया है।

और दूसरी पार्टियों पर तंज कसते हुए कह रहे हैं कि उनकी पार्टी के आने से उत्तर प्रदेश ने उन्नति के बजाय अवनति की है। और अगर आगे आयेगी तो भी अवनति ही करेगी। सभी पार्टियाँ बस यही दर्शा रहीं हैं कि उनकी पार्टी ने कितने काम किये हैं। और पार्टीयों ने तो वोट पूरे पड़ने और उसका रिजल्ट आने से पहले ही मेरी पार्टी ही जीतेगी और सीएम भी मेरी पार्टी का बनेगा यह निर्णय कर दिया है।

बता दें कि जिस तरह सपा(समाजवादी पार्टी) सरकार ने 2012 में 403 विधानसभा सीटों में से 224 सीटें जीत कर अपनी पार्टी का झण्डा फहराया था उसी प्रकार वह 2017 में भी अपनी पार्टी को पूर्ण बहुमत से जिताकर अपनी पार्टी का झण्डा फहरायेगी ऐसा दावा सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव कर रहे हैं जबकि बसपा(बहुजन समाजवादी पार्टी) और भाजपा(भारतीय जनता पार्टी) का दावा कि उनकी सरकार ही जीतेगी और उन्हीं की सरकार बनेंगी।

सभी पार्टियां इस समय एक दूसरे को अपने हमलों में घेर कर सिर्फ एक दूसरे के नाकाम कामों को ही गिनाने में लगी हैं। और अपनी पार्टी के कामों और उन्नतियों को गिनानें में ही लगी हुई हैं जिससे कि जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया जा सके। लेकिन अब तो यह सब पुराना होने वाला है क्योंकि आज जनता खुद ही इनती समझदार हो गई है कि उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं?

इसका निर्णय वह खुद ही ले लेती है और उसे क्या करना चाहिए वह अच्छी तरह जानती है। इसलिए सभी पार्टियों का अपने कामों, जाति और धर्म के नाम से अपनी तरफ आकर्षित करने का  जो हथकंडा है वह निष्फल ही है।

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