वाराणसी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंदसौर हमले में मारे गए किसानों को दो दो लाख रूपए देने की घोषणा की है । अपने एक ट्विट में अखिलेश यादव ने कहा है कि कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और किसानों से किये गये पूर्ण कर्ज़ माफी के वादे की नाउम्मीदगी भी। चुनावी वादे क्या सरकार बनाने के लिए थे! पूर्व सीएम ने प्रदेश सरकार पर कर्जमाफी के नाम पर धोखा देने का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो यूपी में कर्जमाफी के प्रावधानों को लागू करने में हो रहे विलम्ब को लेकर जल्द ही अन्य दलों के सहयोग से आन्दोलन खडा करने कि योजना बना रही है वरिष्ठ नेता सपा राजेन्द्र चौधरी ने पत्रिका से कहा है कि यह साबित हो चुका है कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है ,यूपी एमपी हर जगह एक जैसा हाल है हम किसानो के साथ खड़े होने को पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
सपा सरकार ने भी की थी कर्जमाफी
उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी थी तो उस वक्त उन्होंने सहकारी ग्रामीण विकास बैंक से पचास हज़ार तक का कर्ज़ लेने वाले किसानों का ऋण माफ कर दिया था । उस वक्त लगभग सात लाख बीस हजार किसानों को कर्जमाफी का लाभ मिला था । हांलाकि अखिलेश सरकार की ऋण माफ़ी उस कर्ज पर थी , जिसे लेने के लिए जमीन बंधक रखी गयी हो। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार में ही ऋण वसूली के लिए जमीन नीलम करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गयी थी लेकिन व्यावसायिक बैंकों के कर्ज को लेकर अखिलेश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाये थे। महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश में 2.33 करोड़ किसान हैं। इनमें 1.85 करोड़ सीमांत और लगभग तीस लाख लघु किसान हैं। उत्तर प्रदेश किसानों की कर्जदारी के मामले में देश के पांच राज्यों में शामिल हैं टॉप फाइव में शामिल अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, मिजोरम और अरुणांचल प्रदेश है। यूपी के ग्रामीण इलाकों में एक तिहाई परिवार कर्ज में डूबे हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में कर्जदारी का आलम यह है कि बड़े पैमाने पर किसान कर्ज न चुका पाने की वजह से दूसरे धंधों में उतर रहे हैं।
यूपी में किसानों का हाल बेहाल
विभिन्न बैंकों के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सीमांत और लघु किसानों पर विभिन्न ऋणदायी संस्थाओं का 9,22,126 करोड़ रुपए का फसली ऋण है। ये आंकड़ा सितंबर 2016 तक का है। यूपी सरकार ने दो महीना पहले ही किसानों के फसली ऋण पर एक लाख रुपए कर्जमाफी की घोषणा की है।लेकिन इस कर्जमाफी में मवेशियों और पम्पिंग सेट के लिए जो ऋण लिया जाता है, उसको इसमें शामिल नहीं किया गया है।आश्चर्यजनक यह है कि दो महीना बीतने के बावजूद किसानों को उनकी कर्जमाफी का लाभ नहीं मिला है । एक तथ्य यह भी है कि प्रदेश सरकार दो करोड़ से ज्यादा किसानों को कर्जमाफी का लाभ मिलने का दावा कर रही है जबकि हकीकत यह है कि इसक वास्तविक लाभ बमुश्किल 86 लाख किसानों को मिलेगा ।