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Sunday, February 9, 2025

शिक्षामित्रों की नौकरी से संकट टला, योग्यता के आधार पर स्कूल मिलेगा


लखनऊ. आखिरकार संकट काफी हद तक टल गया। खबर है कि सुप्रीमकोर्ट ने योग्यता के आधार पर खरे उतरने वाले शिक्षामित्रों को बहाल रखने का फैसला किया है। शेष शिक्षामित्रों को योग्यता हासिल करने के लिए एक मौका दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक दस बरस से ज्यादा अध्यापन अनुभव रखने वाले और सरकार से नियुुक्ति प्रमाण-पत्र हासिल करने वाले शिक्षामित्रों की नौकरी बरकरार रहेगी। अलबत्ता पद-नाम बदल सकता है। ऐसे में कयास है कि सरकार नए पद के साथ नया वेतनमान तय करेगी। इस फैसले से सहायक अध्यापक भी संतुष्ट रहेंगे और शिक्षामित्रों की नौकरी भी नहीं जाएगी। खबर यह भी है शिक्षामित्रों को टीईटी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए एक मौका उम्र में छूट के साथ भी मिल सकता है।

बुधवार को लंबी बहस के बाद राज्य सरकार और शिक्षामित्रों की दलील सुनने के बाद शिक्षामित्रों के भविष्य का फैसला लिख दिया है। कोर्ट ने फैसला लिखने से पहले स्पष्ट किया कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं मिलेगी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि स्कूलों में पढ़ाने के लिए काबिल शिक्षकों की तैनाती करना सुनिश्चित करे। काबिल टीचर्स शिक्षामित्र भी हो सकते हैं और बीटीसी के जरिए नियुक्ति हासिल करने वाले अन्य अध्यापक भी। नियुक्ति और प्रशिक्षण के तौर-तरीकों को खरा साबित होना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीमकोर्ट ने अपना फैसला लिखते हुए दोनों पक्षों से लिखित दलील कोर्ट में एक सप्ताह में दाखिल करने को कहा है। लिखित दलीलों के बाद ही कोर्ट अपना फैसला सार्वजनिक करेगा। यानी कोर्ट ने शिक्षामित्रों का भविष्य क्या तय किया है, यह जानने के लिए सात दिन इंतजार करना पड़ेगा। अलबत्ता कोर्ट ने ऐसे शिक्षामित्रों की नौकरी पर मुहर लगा दी है, जिसके पास नियुक्ति पत्र है और अध्यापन का दस साल से ज्यादा का अनुभव

अनुभव के साथ नियुक्ति पत्र भी है तो बेखटक रहें शिक्षामित्र

मामले पर सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने बतौर सहायक अध्यापक नियुक्त हो चुके शिक्षामित्रों को नहीं छेडऩे की बात कही है, ऐसे में सुप्रीमकोर्ट से भी ऐसे शिक्षामित्रों को राहत मिलनी चाहिए, जिन्हें नियुक्ति पत्र मिल चुका है। वकील ने कहाकि ऐसे शिक्षामित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे शिक्षामित्रों को नहीं छेड़ा जाएगा। शिक्षामित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से ये भी कहा कि अगर टीईटी जैसी जरूरी योग्यता की अनिवार्यता है तो उसे पूरा करने के लिए कुछ समय मिलना चाहिए। सुप्रीमकोर्ट को बताया गया कि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद करते समय बहुत से पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

डेढ़ साल पहले हाईकोर्ट ने रद्द किया था समायोजन
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई बुधवार को अतिरिक्त समय में पूरी हुई। इसके बाद कोर्ट ने शिक्षा सुधार को प्राथमिकता बताते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट 12 सितंबर 2015 उत्तर प्रदेश में 172000 शिक्षामित्रों का प्राथमिक विद्यालयों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। चूंकि शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की पीठ के एक जज जस्टिस ललित तीन तलाक के मामलों को सुन रही संविधान पीठ का भी हिस्सा हैं, ऐसे में तीन तलाक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद शाम 4.10 पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी। ध्यान रहे कि यह मामला 172000 शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन का है, अभी तक 132000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं और सुप्रीमकोर्ट से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक के चलते पढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव का कहना है कि उन्हें सुप्रीमकोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है। वे कहते हैं कि उन्हें भरोसा है कि कोर्ट शिक्षामित्रों के हित में फैसला देगा।

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