नेताजी की लगातार उपेक्षा से आहत शिवपाल सिंह यादव नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। इस बात का आधिकारिक एलान अब तक शिवापल ने नहीं किया है।
नेताजी की लगातार उपेक्षा से आहत शिवपाल सिंह यादव नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। इस बात का आधिकारिक एलान अब तक शिवापल ने नहीं किया है। लेकिन जिस तरह समर्थकों से नए राजनीतिक दल को लेकर शिवपाल खेमा राय शुमारी करा रहा है उससे साफ है कि जल्द ही शिवपाल उत्तर प्रदेश की सियासत में नई पारी की शुरुवात करेंगे। समाजवादी पार्टी से शिवपाल किस कदर खफा हैं इसकी बानगी जसवंतनगर है। जहां नगर निकाय चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देकर सपा के होश उड़ा दिए हैं। जसवंतनगर से सपा ने अपना अधिकृत प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है।
उत्तर प्रदेश में हो रहे नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी स्पष्ट तौर पर दो खेमों में बंट चुकी है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष व बेटे अखिलेश यादव के पाले में जाकर खड़ा होने से शिवपाल सिंह यादव अलग-थलग पड़ गए हैं। शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबियों से कहना है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश सहित देश में अपने समर्थकों से राय मांगी है कि उन्हें ऐसे वक्त में आखिर करना क्या चाहिए? सूत्र बताते हैं कि शिवाल समर्थक सभी मुसलिम नेताओं और कार्यकर्ताओं ने संवेत स्वर में उनसे कहा है कि नए राजनीतिक दल को बनाने के बाद वह किसी भी सूरत में भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन न दें। यदि वे ऐसा कर पाने में कामयाब रहे तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पारंपरिक माने जाने वाले अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंधमारी कर पाने में उन्हें कामयाबी मिल सकती है। ज्ञातव्य हो कि उत्तर प्रदेश में मुसलिम बहुल्य विधानसभा सीटें 143 हैं।
उधर समाजवादी पार्टी में नेताजी के अखिलेश के पक्ष में खड़े हो जाने के बाद से शिवपाल ने अपनी अलग राह पकड़ ली है। इसकी शुरुवात उन्होंने मथुरा में की थी जहां बयान देकर उन्होंने अखिलेश यादव और उनकी पूर्ववर्ती सरकार को घेरने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि यदि अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष बने रहने दिया होता तो इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की ही सरकार बनती। उधर जसवंतनगर में शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन देने की बजाय एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देकर समाजवादी पार्टी आलाकमान की नींद उड़ा दी है। जसवंतनगर से जौली, निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। उन्हें शिवपाल सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता रहा है। यही वजह रही कि नगर निकाय चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी का प्रत्याशी नहीं बनाया।
इस बात से नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर वे चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें जीत दिलाने के लिए शिवपाल और उनके बेहद करीबियों ने जसवंतनतर में पड़ाव डाल रखा है। शिवपाल सिंह यादव के करीबियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जसवंतनगर में कई पोलिंग बूथों का दौरा करने और वहां मतदाताओं से शिवपाल यादव के खिलाफ अपील करने से शिवपाल और उनका खेमा बेहद नाराज है। इसी नाराजगी का हिसाब चुकता करने के लिए इस बार जसवंतनगर में यादव राजनीति की नई पटकथा तैयार की जा रही है। यादव परिवार में मची आपसी तकरार पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय बहादुर पाठक चुटकी लेते हैं। वे कहते हैं, उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और गुण्डाराज की वजह से सत्ता गंवाने वाली समाजवादी पार्टी के बीच छिड़ी जंग सिद्धंतों की नहीं है। मुलायम परिवार में धधक रही रार की वजह सत्ता और उसे लेकर मचा संघर्ष है।