लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी दो भागों में बंटती हुई नज़र आ रही है। कुछ दिनों पहले सीएम अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव से कई मंत्रलाय छीन लिया था। अब शिवपाल ने अखिलेश से नाराज होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
शिवपाल यादव ने मंत्री और पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिवपाल के समर्थक लखनऊ की सड़क पर उतर आए। वैसे उनके इस्तीफे नामंज़ूर किए जा चुके हैं लेकिन झगड़ा खत्म नहीं हुआ है। मुलायम परिवार भी दो खेमों में बंट गया है। ये तब हो रहा है जब यूपी में समाजवादी पार्टी को कुछ महीने में चुनाव में उतरना है।
शिवपाल के समर्थन में कार्यकर्ताओं ने लगाई भीड़
जैसे ही शिवपाल यादव के पार्टी और सरकार के पदों से इस्तीफा दिया, शिवपाल के घर के बाहर समर्थकों का मजमा लग गया। कार्यकर्ता तो आए ही, 20 विधायक भी खुलकर शिवपाल के समर्थन में घर के बाहर जमा हो गए। जो दिखा उससे मुलायम के साए में राजनीति में पले-बढ़े शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के जननायक लगने लगे।
यादव परिवार की इस पार्टी में पहली बार परिवार के एक सदस्य को उसी के परिवार से इंसाफ दिलाने के लिए बाहर के लोग आवाज उठाते सुने गए। कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने पर शिवपाल यादव को भी सड़क पर आना पड़ा।
अखिलेश से मिलने के बाद लिया इस्तीफे का फैसाल
शिवपाल और अखिलेश के बीच चल रहा संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया। शिवपाल लगातार कह रहे थे कि जो नेताजी (मुलायम सिंह) कहेंगे, वे वहीं करेंगे। ना जाने मुलायम ने क्या कह दिया कि शिवपाल ने अपने आत्मसम्मान के लिए परिवार, पार्टी और सरकार सबको सड़क पर ला दिया। कल शाम दिल्ली से लखनऊ पहुंचकर शिवपाल, अखिलेश से मिलने गए। बंद कमरे में हुई मुलाकात के बारे में बाहर ये ख़बरें उड़ीं कि चाचा-भतीजा गले भी मिले। शिवपाल ने पहले समाजवादी पार्टी के यूपी अध्यक्ष का पद छोड़ा, उसके बाद अखिलेश सरकार के मंत्री का पद भी छोड़ा दिया। इसी के साथ समाजवादी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता बनकर रह गए शिवपाल।
शिवपाल के सभी इस्तीफे हुए नामंजूर
मुलायम सिंह ने शिवपाल के सारे इस्तीफों को नामंजूर कर दिए हैं। जब अखिलेश ने मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होने नहीं दिया। तब लगा कि बात आई गई हो गई।