शिशुओं मे बुखार की न करें अनदेखी …..डॉ असद
बहराइच :(अब्दुल अजीज)NOI:- नवजात शिशुओं मे बुखार आना आम बात नहीं है, थोड़ी सी लापरवाही शिशुओं को खतरे मे डाल सकती है |ये बात बताते हुए जिले के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ असद अली ने कहा कि जन्म से दो साल तक के शिशुओं मे बुखार आना गंभीर जीवाणु संक्रमण (इन्फेक्शन) का एक लक्षण है | बीमारी की शुरुवात मे ही जितनी जल्दी हो सके नजदीकी अस्पताल मे डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज शुरू कर देना चाहिए |
नवजात शिशु मे बीमारी के लक्षण दिखने पर अधिकतर लोग अस्पताल के बजाय झाडफूंक अथवा झोलाछाप के इलाज को महत्व देते हैं | सही इलाज न होने के कारण बीमारी गंभीर हो जाती है | जिसके कारण नवजात शिशुओं को स्वस्थ होने मे काफी समय लगता है या अधिक गंभीर स्थिति मे इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है | एसएनसीयू के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ असद अली ने बताया कि नवजात शिशु मे बीमारी की शुरुवात मे ही लक्षणों को पहचान कर उन्हे गंभीर होने से बचाया जा सकता है | उन्होने बताया कि बुखार के अलावा शिशु का स्तनपान न कर पर पाना, शरीर का कम हिलना डुलना, शरीर पर 10 से अधिक फुंसियाँ या एक बड़ा फोड़ा होना, साँस लेने में कठिनाई होना, दौरा पड़ना, शरीर का तापमान कम होना, साँस लेने में कठिनाई होना आदि नवजात शिशुओं मे खतरे के लक्षण हैं | इन लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार जितनी जल्दी हो सके इलाज शुरू कर देना चाहिए |
डीसीपीएम मो0 राशिद ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों मे आज भी माँ अथवा घर के सदस्य जो शिशु की देखभाल कर रहे हैं उन्हे बीमारी के शुरुवाती लक्षणो की जानकारी आशाओं द्वारा दी जा रही है | जन्म के समय कम वजन ( 2500 ग्राम से कम ) अथवा समय से पहले सातवें या आठवें महीने मे जन्मे शिशुओं की विशेष देखभाल के बारे मे भी आशाएँ लोगों को जागरूक कर रही हैं | उन्होने बताया कि गंभीर बीमारी से नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए जिला महिला अस्पताल मे सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट तथा सभी सीएचसी, पीएचसी पर न्यू बोर्न केयर कोर्नर की स्थापना की गयी है |