संचारी व दस्तक अभियान पर स्वास्थ्य विभाग गम्भीर, प्रतिदिन की जा रही मॉनिटरिंग -सीएमओ
बहराइच :(अब्दुल अजीज)NOI:- विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान (द्वितीय चरण) एवं दस्तक अभियान (द्वितीय चरण) के प्रति जिला स्वास्थ्य विभाग गम्भीर है। शासन की ओर से प्रथम सप्ताह की विभागवार और गतिविधिवार जनपद की संकलित रिपोर्ट मुख्यालय जल्द भेजी जा रही है।इस बात की जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर सुरेश सिंह ने बताया कि इस संदर्भ में संचालित कार्यक्रमों का डेटा इन्ट्री का कार्य निरन्तर सुनिश्चित किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के डेटा इन्ट्री का कार्य अभियान चलाकर शतप्रतिशत किया जा रहा है।
उन्होने आगे बताया कि बहराइच समेत 11 जनपदों में दिशा-निर्देश के अनुसार उपकरणों का क्रय नियमानुसार करते हुए प्राथमिकता के आधार पर इन्सेफ्लाइटिस ट्रीटमेन्ट सेन्टर (ईटीसी) को क्रियाशील करने के निर्देश मिले हैं। बाढ़ की दशा में उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोगों की प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु आवश्यक औषधियां यथा ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरीन टेबलेट, ओआरएस एवं एण्टीस्नेक वीनम आदि की उपलब्धता के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।
सीएमओ ने बताया कि शासन से यूपी मेडिकल कारपोरेशन को संचारी रोग ईटीसी, पीआईसीयू आदि के औषधियों के लिए बजट उपलब्ध करा दिया है। जिले से औषधियों का मांग पत्र यूपी मेडिकल कारपोरेशन को उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रमुख सचिव से मिले निर्देश के अनुसार आयुष्मान भारत योजनान्तर्गत लाभार्थियों के गोल्डेन कार्ड का वितरण कराया जा रहा है। क्षय रोग (टीबी) से ग्रसित मरीजों को चिन्हित कर उनका समुचित इलाज हो रहा है ताकि प्रदेश को टीबी मुक्त किया जा सके। संचारी रोग नियंत्रण अभियान में सभी 12 विभागों की भागीदारी जिलाधिकारी के माध्यम से सुनिश्चित कराकर अभियान को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अन्तर्गत हो रहे कार्यो की प्रतिदिन समीक्षा भी की जा रही है।वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा की गई इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद जन सामान्य को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं का समुचित लाभ नही मिल पा रहा है,एक सर्वेक्षण से ये बात साबित हुई है कि विभाग इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन को मात्र कागजों पर सम्पादित कराते हुए शासकीय धन के बन्दर बाट में जुटी रहती है जिसका उदाहरण स्थानीय जिला चिकित्सालय/चिकित्सा महा विद्यालय की व्यवस्था से लिया जा सकता है जो पूर्ण रूप से मुख्य चिकित्साधिकारी के ही अधीन है।इस चिकसालय में कहने के लिये तो सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन यहां लोगों को न तो समुचित इलाज मिल पा रहा है और न ही शासन इस ओर कोई ठोस कार्यवाही करने में दिलचस्पी दिखा रहा है ऊपर है चिकसालय प्रशासन और कर्मचारियों के व्यवहार और रवैय्ये से जहां आये दिन मार पीट की घटनाएं होती रहती हैं वहीं सामान्य रोगियों का खुलेआम आर्थिक शोषण यहां आम हो गया है लेकिन फिर भी विभाग सरकार की योजनाओं के संचालन और प्रचार प्रसार पर पैसा पानी की तरह बहा रहा है।