सीतापुर-अनूप पाण्डेय,आजम खान/NOi-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के खैराबाद सीतापुर कहते हैं कि अगर बचपन की यादें ताजा करनी है तो बड़े, बुजुर्गों के पास बैठो या फिर एल्बम में कैद तस्वीरों को देखो यादे ताजा हो जाएंगी बचपन भी बहुत अजीबोगरीब होता है वो बचपन की शरारतें आज भी याद आती है लोग यही कहते नजर आते हैं काश फिर से बचपना आ जाए लेकिन समय के अनुसार सब कुछ बदल चुका है बचपना गया जवानी आई जिम्मेदारियों के साथ भाग दौड़ में जवानी गुजार गई ओर जिंदगी की रफ्तार मे गिरफ्तार हो गए जैसे की पूरे संसार के बोझ के तले दब गया हू बचपन की कई निशानियां ऐसी हैं जो आज भी याद दिलाती है जैसे कि बिस्कुट टॉफी की दुकानों पर एक रूपए की चार संतरे वाली टॉफी देखने को बहुत मिलती है उन्हें देखकर याद आता है कि जैसे की उम्र पचपन की और दिल है बचपन का संतरे की फाह्की के आकार वाली टॉफी को देख कर हर कोई अपनी यादों को ताजा करते हुए कहते हैं की बहुत पुरानी टॉफी अपने बचपन में संतरे वाली टॉफी बहुत खाई संतरे वाली टॉफी देखकर गुजरा जमाना यादकर लोग लीन हो जाते हैं। दुकान पर आने वाले ग्राहक संतरे के आकार वाली टॉफी को मुस्कुराते हुए टॉफी के जायके के साथ तो कोई कहता है कि जब हमारे पूर्वज मेहनत मजदूरी कर के घर को लौटते तो हम लोग के लिए शाम को पिता के घर लौटने का इंतजार करते थे कि पिताजी आएंगे और संतरे वाली टॉफी बाटेगे सभी को बांटेगे और बच्चे उछल ,कूद करके टाफी खाने की ललक मे रहते इन संतरे वाली टॉफी ने लोगों के बुढ़ापे और जवानी को भुला कर बचपना याद दिला दिया ना जाने संतरे वाली टॉफी मे केसा मिठास है जो आज भी बचपन की यादो को ताजा कर दे ऐसा लगता है कि जैसे की गुजरे हुए वक्त मे लीन हो गया हू संतरे वाली टॉफी से बचपन की बहुत सी बाते बडे,बुजुर्ग लोग अपने बच्चों को बीते गुजरी बातें सुनाते है।