सऊदी अरब में कानून लागू होने से लौटना पड़ेगा, यूपी के एक लाख से अधिक लोग
फरवरी में मऊ के परवेज व देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के गुड्डू ने हसरत से सऊदी अरब की उड़ान भरी। परवेज व गुडडू सपने लेकर वहां गये, लेकिन अब उनके दिलों में डर और वापस लौटने का खतरा सता रहा है। परवेज की मां सऊदी अरब के निताकत (श्रम) कानून को तो नहीं जानती, लेकिन उन्हें इतना पता चल गया है कि अब वहां नौकरी करना आसान नहीं रह गया है।
पिता के मरने के बाद गरीबी में पले परवेज को कुछ वर्ष पहले सऊदी अरब जाने का अवसर मिला। इससे उसने अपनी माली हालत काफी बेहतर कर ली और उसका परिवार समृद्धि की राह पर चल पड़ा। सऊदी अरब से आने के बाद काफी दिन घर पर रहकर वह वापस गया तो घर वालों से बोल गया कि अबकी कमाई करने के बाद यहां आकर अपना कारोबार शुरू कर देगा। अब तो परवेज ही नहीं, बहुत से लोगों की तकदीर पर संकट के बादल छा गये हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सऊदी अरब में यूपी के एक लाख से अधिक लोग रहते हैं। जबसे वहां नया श्रम कानून लागू हुआ है, खलबली मच गयी है। भारत सरकार के मंत्री लगातार सऊदी अरब के निजाम से संवाद स्थापित कर रहे हैं और इसका भरोसा भी दे रहे हैं कि कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन सरकारी भरोसे पर आम लोगों को एतबार नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता और संवाद के संस्थापक वशिष्ठ नारायण दुबे कहते हैं कि सरकार को इस पर गंभीर होने की जरूरत है, अन्यथा यूपी खासतौर से पूर्वाचल की अर्थव्यवस्था गड़बड़ हो जायेगी। दुबे के मुताबिक 200 वर्ष से यूपी व बिहार मजदूरों की सबसे बड़ी मंडी है। खाड़ी देशों में ज्यादातर लोग यहीं के हैं और इनकी वजह से यहां की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी है। अगर पलायन हुआ तो जाहिर है कि इसका असर बुरा होगा।’ इसकी आहट तो अब पूरी तरह महसूस की जाने लगी है।
लखनऊ के गोमतीनगर में रहने वाले राजकरन वहां किसी बड़ी कंपनी में काम करते हैं और उनकी कमाई से ही परिवार गांव से राजधानी तक आ गया, लेकिन अब उनको लगता है कि वह सऊदी अरब में टिक नहीं पायेंगे। उन्होंने अपने घर वालों को आगाह कर दिया है कि वह कभी भी घर आ सकते हैं। राजकरन के मुताबिक सऊदी अरब में करीब ढाई लाख लघु व मध्यम स्तर की कंपनिया तय समय सीमा में निताकत कानून की शर्ते लागू नहीं कर सकीं, लिहाजा कर्मचारियों को उनके मूल देश वापस भेजा जा सकता है।
क्या है निताकत कानून : सऊदी अरब में 27 मार्च से लागू निताकत (श्रम) कानून के अनुसार, निचले व मध्यम स्तर की सभी कंपनियों को दस फीसद नौकरियां स्थानीय युवकों के लिए आरक्षित रखनी होंगी। इसके तहत कानून तोड़ने वाली कंपनियों के कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें उनके देश वापस भेजने का प्रावधान भी है। इससे यह खतरा भी उत्पन्न हो गया है कि सऊदी अरब की सरकार यहां के लोगों को वापस भेजते समय उनके पासपोर्ट पर कुछ ऐसा अंकित कर सकती है, जिससे वे लोग अपराधी की श्रेणी में आ जायेंगे।