दीपक ठाकुर:NOI।
देश की जनता सरकार चुनती इसलिए है कि सरकार आने से उसका जीवन सुगम हो जाएगा लेकिन आज की सरकारें सत्ता में आने के बाद अगली बार की तैयारी में जुटी दिखाई देती है ये भूल कर की देश की जनता को क्या मिल रहा है और कैसे मिल रहा है।बात बिल्कुल सही है क्योंकि अगर सरकार जनता की सोचती तो आज उसकी थाल पर डाका ना पड़ रहा होता।
थाल पर डाका क्यों कहा ये भी जान लीजिए,खाने की थाली में अगर सब्ज़ी ना हो तो थाली थाली नही लगती और आज कल यही हो रहा क्योंकि आलू 25 से 30 रुपये किलो है तरोई 60 रुपये और तो और टमाटर भी 60 रुपये पर पहुंच चुका है परवल और भिंडी की तरफ तो आप देखने की सोच भी नही सकते तो बताइए ऐसे में सलाद खाने की हिम्मत आम आदमी कैसे जुटा पायेगा और सब्जी भी बस ख्यालो में ही पकवा पायेगा।
पैसा ले के घर से जब वो निकलता है तो सोचता है ये लाना है वो लाना है पर सब्ज़ी की दुकान पर पहुंचते ही ये वो भूल कर बस उतना ही ले जाता है जिससे उसकी थाल का स्वरूप पूरा हो जाता है लोग स्वाद ले कर ही काम चलाने को मजबूर है और हमारी सरकार घोषणाओं का पुलिंदा सुना कर अगले चुनावी रण की तैयारी में जुटी है उसके पास आम जनता से जुड़े मुद्दे नही बस मुद्दे है तो देश बदलने के जिससे हमारा आपका पेट नही भरने वाला है हमको तो दो वक्त की थाल चाहिए जिससे सरकार का कोई सरोकार हो ऐसा नज़र तो नही आता है।