डॉक्टर वक़ार अहमद शाह की प्रारंभिक शिक्षा बहराइच में हुई,बहराइच शहर के काजीपुरा निवासी ख्वाजा कमरुद्दीन के परिवार में जन्म लेकर उनके खानदान से सम्बन्ध रखने वाले डा0शाह ने मेडिकल जगत में कदम रखते हुए जिले के मलेरिया विभाग से सम्बद्ध हुये और इसी के साथ ही इन्होंने वक्फ दरगाह द्वारा संचालित अस्पताल को अपनी सेवायें देते हुये शहर के छावनी इलाके में अपना एक क्लीनिक शुरू किया,इसके अलावा समाजसेवा का दिलों में जज्बा रखने वाले स्व0 शाह शहर के मशहूर तालीमी इदारा आजाद कसलेज के प्रबंधन से जुड़ते हुए तमाम दूसरी सामाजिक संस्थाओं में भी अपनी सेवाएं प्रदान करते रहे । वक्त के साथ ही आपका विवाह अपने ही वर्ग की एक सुशील व शिक्षित महिला से विवाह कर अपना नया जीवन सँवारने में लग गये वहीं दूसरी ओर बहराइच आने वाले एक चिकित्सक के सम्पर्क में आकर इन्होंने पैथालोजी के काम मे भी लगे तो दूसरी तरफ योग्य और शिक्षित पत्नी ने भी इनके पग चिन्हों पर चलते हुए समाज की सेवा करने के शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखते हुए अध्यापन के कार्य मे जुट गई जो अपने रिटायरमेंट तक लगी रही।डा0शाह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान की संगत में आकर राजनीति में रुचि रखने लगे और 1993 में राजनीति के पहले पायदान पर कदम रखते हुए मुलायम सिंह की पार्टी का परचम थाम कर विधान सभा की बैतरणी पार करते हुए एम एल ए के रूप में बहराइच की जनता की सेवा करने का बीड़ा उठा लिया और जनता के अपार स्नेह व अपनी लोक प्रियता व सेवा भाव के सहारे वह पांच बार लगातार (जब तक स्वस्थ रहे) विधान सभा मे बहराइच का प्रतिनिधित्व करते रहे।अपने इस राजनीतिक सफर में स्व0शाह ने बहुत से उतार चढ़ाव भी देखे जिसमे इनकी बढ़ती राजनैतिक लोकप्रियता से घबरा कर कुछ वरिष्ठ राजनेता के बागी तेवर भी उभर कर सामने आ गये लेकिन इन सबके बावजूद डा0 शाह ने मुड कर पीछे नही देखा और जनता को व उनकी खुशहाली को अपना मकसद मान कर निरन्तर आगे बढ़ते गये और बहराइच ही नही पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बना ली।डा0शाह एक अच्छे निशाने बाज भी थे जिन्होंने तमाम शूटिंग प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए मेडल्स भी अर्जित किये थे।डा0 शाह ने अपने इस राजनैतिक कैरियर में विधान सभा के कार्यकारी उपाध्यक्ष,अध्य्क्ष व कई बार सूबे की कैबिनेट में अपनी जगह बनाते हुये बहराइच और प्रदेश को अपनी सेवायें प्रदान करते रहे लेकिन इसी बीच अपने कैरियर के पांचवे सत्र में अचानक बीमार हो गये जिनको बहराइच से लेकर गुड़गांव और लखनऊ में इलाज के दौर से गुजरते रहे और एक लम्बे सफर के बाद आखिर वह घड़ी भी आ गयी जिससे इस दुनिया मे आने वाले हर इंसान को गुजरना पड़ता है।आज वह अपना ये सफर यहीं समाप्त कर अपने मालिक हक़ीक़ी से जा मिले ऐसी दशा में हम सभी की यही दुआएं हैं कि अल्लाह रब्बुल इज्जत उन्हें जन्नतुल फिरदौश में आला मकाम अता फरमाये…….आमीन