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Friday, December 13, 2024

सरकारी आदेश को ताक पर क्यों रखते है स्टाफर्ड जैसे कुछ निजी विद्यालय…

लखनऊ ,मो. इरफ़ान शाहिद । निजी विद्यालयों की मनमानी अपने चरम पर पहुंचने लगी है एक तरफ तो बढ़ी फ़ीस से अभिभावक शोषित हो रहा है तो वहीँ सरकारी छुट्टी के बावजूद स्कूल खोले जाने से उन बच्चो को बुरा लगता है जो एक दूसरे से पूछते है कि तुम्हारा स्कूल बंद है पर मेरा तो खुला है बचपन होता ही ऐसा है नादान।

पर निजी विद्यालय इस मामले में नादान नहीं बड़ी चालाकी से काम लेते है अपने स्कूल का सारा सिस्टम बिना किसी सरकारी दखल के बखूबी चलाते हैं यदि कोई सरकारी छुट्टी होती है तो पहले तो स्कूल ये बोल कर खोल देते है कि उन तक कोई आदेश पहुंचा ही नहीं दुसरा एक्स्ट्रा क्लास के बहाने से बच्चो को स्कूल बुला लेते है बच्चे भी गैरहाजिर ना हो जाये इसलिए मन मार कर स्कूल चले जाते है।

यहाँ बात बच्चो के स्कूल जाने ना जाने की नहीं है बात उसूल की है वो ये की निजी विद्यालय और सरकारी विद्यालयों में ऐसी भिन्नता क्यों हो रही है एक तरफ सरकार छुट्टी घोषित करती है सबके लिए पर निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगाती क्या सरकार खुद सरकारी स्कूल या उन स्कूल जो सरकारी आदेश मानते है उनका स्तर गिरा रही है या निजी स्कूल पर सरकार का कोई ज़ोर नहीं कारण क्या है कह नहीं सकते पर इतना ज़रूर कह सकते है कि जिस तरह प्रदेश के सभी बच्चे एक से है वैसे ही विद्यालयों में एकता क्यों नहीं की जा रही। उत्तर प्रदेश में जब सपा सरकार थी तब करपुरी ठाकुर के जन्मदिवस पर अवकाश घोषित किया गया था पर निजी विद्यालय खुले रहे यही आसार इस सरकार में भी नज़र आ रहे है झूलेलाल जयंती पर 29 मार्च का सरकारी अवकाश वेबसाइट पर तो है पर निजी विद्यालय अपना आदेश चला रहे है ऐसी स्थिति में प्रदेश की योगी सरकार क्या रुख दिखाएगी ये बात ये तय करने में सहायक होगा कि उत्तर प्रदेश वास्तव में बदल रहा है यहाँ अब वो नहीं होगा जो बीते वर्षों में होता रहा है।

अब तो प्रदेश की कमान एक उम्मीद के हाथ में है तो उन अभिभावकों की उम्मीदों को पूरा करें और निजी स्कूल के मनमाने रवैये पर अंकुश लगाये तो सभी बच्चे समान शिक्षा पाने के असल हक़दार होंगे बात चाहे फ़ीस की हो या अवकाश की उसमे भेदभाव ना हो सरकार को इस बारे ठोस कार्यवाई करनी चाहिए मनमानी हर स्तर पर ठीक नहीं होती ये बात उनको समझाने का वक़्त आ गया है।

क्योंकि स्टाफर्ड स्कूल के प्रबंधक से इस विषय पर जब संवादाता ने फोन पर बात की तो प्रबंधक साहब सामने तो नहीं आये पर उनके प्रतिनिधि ने ये जवाब दिया कि आदेश में ये लिखा है कि जिस विद्यालय में पढाई या अन्य काम आवश्यक हैं वो विद्यालय खोल सकते हैं।

अब स्टाफोर्ड स्कूल का ये तर्क कितना सही है ये हमारी समझ से परे है क्या ऐसे स्कूल ये दर्शाना चाहता है कि अच्छी शिक्षा इन्ही के स्कूल में दी जाती है या ये कि पैसा ज़्यादा होने पर सरकार खुद ही बन जाया जाता है।

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