सरकार को इस बात की बहुत फिक्र है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट कोयला मामले में सीबीआई का हलफनामा बदलवाने पर प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी न कर दे.
ज्यादा चिंता इस बात की है कि कहीं सुप्रीम कोर्ट यह निष्कर्ष न निकाल ले कि सीबीआई पर दबाव डाला गया था.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि इस मामले में पहले ही सरकार की बहुत किरकिरी हो चुकी है और अब यदि सुप्रीम कोर्ट ने खिंचाई की तो विरोधी इसका राजनीतिक फायदा उठाने से नहीं चूकेंगे. पहले ही इस मामले में विरोधी दल संसद नहीं चलने दे रहे हैं और उन्हें बड़ी मुश्किल से केवल वित्त विधेयक पारित कराने के लिए संसद चलाने पर मनाया गया है.
कांग्रेस को इस बात का डर है कि कहीं सुप्रीम कोर्ट अपनी टिप्पणी में यह न कह दे कि हलफनामे में कानून मंत्री अिनी कुमार ने सरकार को बचाने के लिए कई पैरे बदलवाए हैं. सोमवार को इस तरह की खबरें बाहर आने पर सरकार और कांग्रेस ने चुप्पी साध ली.
कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने ‘राष्ट्रीय सहारा’ के पूछने पर कहा कि यह स्वाभाविक है कि हमारी नजर सुप्रीम कोर्ट पर है कि वो हलफनामा मामले में क्या कहता है. उन्होंने कहा कि अभी तो हमारा स्टैंड यही है कि कानून मंत्री ने केवल भाषाई बदलाव किए हैं और उन्होंने इसके लिए सीबीआई पर काई दबाव नहीं डाला.
जब उनसे यह सवाल किया गया कि इस तरह की बातें सामने आई हैं कि कानून मंत्री ने कई पैरे बदलवाए थे तो उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरों पर वह टिप्पणी नहीं कर सकते बल्कि इसके बारे में तो उन्हीं व्यक्तियों से सवाल किए जाने चाहिए जो इस तरह की बातें सामने ला रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वैसे पार्टी को कोयला मामले में कोर्ट की टिप्पणी की बजाय पूरे फैसले का इंतजार है क्योंकि सरकार ने स्पष्ट कहा है कि उसने कोयला आवंटन में कुछ गलत नहीं किया है. बताया जा रहा है कि इस मामले में अटार्नी जनरल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की है. राज्यमंत्री नारायणसामी ने कहा कि सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है इसलिए वह फिक्र नहीं कर रही है.