नई दिल्ली। बड़े ही जोश खरोश के साथ पीएम मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना का ऐलान किया था। कांग्रेस सांसदों ने विरोध किया। सांसदों ने गांव गोद लेने में देर लगाई। शुरुआत खासी धीमी रही है लेकिन 2 साल बीतने के बाद सरकार ने हिम्मत नहीं हारी है। इस योजना को लागू करने वाले नोडल मंत्रालय यानि ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि योजना के पहले चरण में राज्यसभा और लोकसभा के कुल 796 सांसदों में से 702 सांसदों ने अपने इलाकों में आदर्श ग्राम चुन लिए थे। इनमें लोकसभा के 543 मे से 499 सांसदों ने और राज्य सभा के कुल 253 सांसदों में 203 सांसदों ने गांव गोद लिए और काम शुरू कर दिया। सरकार मानती है कि शुरुआती झटके लगे थे लेकिन एक अच्छी शुरुआत तो हुई। आलम ये है कि दूसरे चरण की शुरुआत होने के बाद अब तक सांसद 132 गांव गोद ले चुके हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकडों की मानें तो कुल 702 गोद लिए गए गांवों में से 645 ने अपने क्षेत्र में लागू हुई ग्रामीण विकास योजनाओं को अपलोड किया। इनमें से 541 यानि 77 फीसदी गांवों ने अपनी पंचायत का हाल अपडेट किया है। अब हम आपको बताते हैं कि इन गोद लिए गांवों की तस्वीर कितनी बदली। सरकार की मानें तो-
इन 702 में से 283 यानि 40 फीसदी ग्राम पंचायतों में शतप्रतिशत टीकाकरण हो चुका है।
-272 गांवों में शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव
-सिर्फ 91 गांवों में शत प्रतिशत सुरक्षित आवास
-171 गांवों में शत प्रतिशत घरों का विद्युतिकरण यानि महज 24.36 फीसदी
-सिर्फ 225 गांवों में शत प्रतिशत पीडीएस अनाज
–177 गावों में ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी
-211 गांवों में शत प्रतिशत विधवा पेंशन
हालांकि ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकडे बताते हैं कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक चार लाख 81 हजार किमी सड़कें पूरी की जा चुकी हैं। एनडीए सरकार आने के बाद दो सालमें एक लाख किमी ग्रामीण सड़कों का मिर्माण हुआ है। सरकार का दावा है कि बचा हुआ लक्ष्य 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा लेकिन सरकार की असली चिंता इस बाद को लेकर है कि पक्की सड़कों के बनने के बाद इनकी देख रेख कैसे हो? राज्यों से सहयोग मांगा गया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ‘मेरी सड़क’ ऐप शुरू किया है जो ग्रामीण सड़कों के लिए क्वालिटी मॉनिटर का काम करेगा। इसके अब तक 5 लाख डाउनलोड हो चुके हैं। इसपर शिकायत डालने पर सिर्फ एक हफ्ते में जवाब मिलेगा और राज्य केंद्र सरकार जिसकी जिम्मेदारी होगी, वहां तक शिकायत बढ़ा दी जाएगी।
गांव गोद लेने के कार्यक्रम के पीछ इरादा यही था कि आगे चल कर हर गांव आदर्श गांव बने लेकिन इन आंकड़ों को देखें तो शुरुआत खासी धीमी ही रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय को उम्मीद है कि सांसदों के साथ साथ लोगों में भी जागरुकता आने लगी है इसलिए 2019 आते आते हालात और सुधरेंगे।