दीपक ठाकुर:NOI।
राजनीती भी बड़ी अजीब नज़र आने लगी है यहां काम के साथ साथ काम तमाम करने जैसी संवेदनशील बात पर भी सियासतदार लोग राजनीती करने से बाज़ नही आ रहे हैं।हत्या की साजिश जैसे खतरनाक मनसूबे पर भी गेंद एक दूसरे के पाले में डालने का खेल भी यहां राजनैतिक अंदाज़ में बखूबी खेला जा रहा है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि माओवादी संगठन द्वारा जारी एक चिट्ठी मिलने के बाद हरकत में आई पुलिस ने जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का खुलासा किया है उसके बाद से भाजपा कांग्रेस में ज़ुबानी जंग का दौर शुरू हो गया है दोनो पार्टी अब ये साबित करने में लगी है कि इस साजिश के पीछे दूसरी पार्टी का हाथ है।
पुलिस के मुताबिक चिट्ठी में इस बात का ज़िक्र है कि मोदी की भाजपा सरकार धीरे धीरे पूरे देश मे काबिज़ हो रही है जो माओवादियों के लिए खतरे के संकेत है इस लिए स्वर्गीय राजीव गांधी की तरह नरेंद्र मोदी की भी हत्या कर दी जाए जब वो अपने चुनाव प्रचार में निकले।
ज़ाहिर तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी कार्यकुशलता से उग्रवादी संगठन भयभीत तो ज़रूर है पर क्या यही भय इतना खतरनाक षड्यंत्र रचने के लिए काफी है ये जांच का विषय है।अब जैसा कि 2019 लोक सभा के चुनाव नजदीक है और उस वक़्त ऐसी किसी खबर का आना मोदी प्रशंसकों को विचलित तो करेगा ही साथ ही उनके प्रति सहानभूति भी दिखायेगा यही बात कांग्रेस को हजम नही हो पा रही उसको लगता है कि भाजपा अपनी गिरती साख को बचाने के लिए ऐसी बात कर रही है उसको लगता है कि मोदी मैजिक अब धरातल पे आ चुका है तो क्यों ना सहानभूति वाला दांव खेला जाए जो वो पहले भी करती आई है ये बात संजय निरुपम ने मीडिया के सामने तब कही जब इस पूरे षड्यंत्र के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर उंगली उठाई जा रही थी।
वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धमकी से डरने वालो में से नही है वो अपने मिशन पर हैं पाकिस्तान की चीन से कुट्टी कराने का उनका प्रयास जारी है जिस सिलसिले में वो विदेश यात्रा पर हैं पर देश की सियासत उन्ही के इर्द गिर्द घूमती नज़र आ रही है यहां आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।फिलहाल तो हत्या की साजिश किये जाने वाले मामले के खुलासे के बाद आम जनता की मिली जुली प्रतिक्रिया ही सामने आ रही है कोई इसे गंभीरता से ले रहा है तो कोई इसे राजनैतिक स्टंट बता रहा है पर किसका ये साफ नही हो पा रहा है।