हरियाणा की बीजेपी सरकार विश्व की प्राचीनतम मानव सभ्यता यानी कि सिंधु घाटी सभ्यता का नाम बदलने की तैयारी कर रही है। हरियाणा सरकार की संस्था हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड (HSHDB) का मानना है कि चूंकि अब सरस्वती नदी का अस्तित्व दुनिया को पता चल चुका है, इसलिए अब सिंधु घाटी सभ्यता का नाम बदलकर सरस्वती नदी सभ्यता रखा जाना चाहिए। HSHDB अब इससे जुड़ी एक सिफारिश सरकार को भेजने वाली है। इस बोर्ड के चेयरमैन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद हैं। इससे पहले हरियाणा सरकार ने दिल्ली/एनसीआर के मशहूर शहर गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम रख दिया था। हरियाणा सरकार ने इसी साल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सरस्वती महोत्सव का आयोजन किया था, इसमें सरस्वती नदी की एतिहासिकता पर चर्चा करने के लिए देश विदेश से पुरातत्ववेता, इतिहासकार और प्रोफेसर आए थे। इस सफल आयोजन के बाद ही सिंधु घाटी सभ्यता का नाम बदलने का मन बनाया गया ।
इससे सात महीने पहले हरियाणा सरकार ने दावा किया था कि पुरातात्विक खुदाई में सरस्वती नदी के अस्तित्व का पता चल चुका है, और सरकार ने खुदाई के स्थल पर पानी भी छोड़ कर नदी की धारा को पहचानने का काम किया था। बोर्ड के मुताबिक जब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एक्सपर्ट ये मान चुके हैं कि सरस्वती नदी एक कल्पित कथा नहीं है, और इसका वजूद एक वास्तविकता है तो हमारे देश में इसका नाम सिंधु घाटी सभ्यता से बदलकर सरस्वती नदी सभ्यता रखा जाना चाहिए। HSHDB के डिप्टी चेयरमैन प्रशांत भारद्वाज ने कहा कि, “अब किसी को भी सरस्वती नदी को कपोल कथा नहीं कहनी चाहिए क्योंकि इसका वजूद अब प्रमाणित हो चुका है”। प्रशांत भारद्वाज के मुताबिक सरस्वती नदी को अब धार्मिक कथा के तौर पर भी पेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा कहकर अब अपनी सभ्यता और विरासत को खुद कम आंकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हरियाणा सरकार के आर्काइव, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग की प्रिंसिपल सेकेट्री सुमिता मिश्रा के मुताबिक, “कई सालों से हडप्पा सभ्यता से जुड़े कई स्थल हरियाणा में पाये गये हैं, इसलिए हरियाणा में सरस्वती नदी की मौजूदगी के प्रमाण मिलने के बाद इसका नाम अब सरस्वती नदी सभ्यता कर देना चाहिए।
बुधवार को हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। लेकिन सरकार को यहां विपक्षी पार्टियों का विरोध झेलना पड़ा। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि सरस्वती नाम की जिस नदी में पानी डाला जा रहा है उसका स्रोत क्या है ? क्या सरकार सिर्फ दिखावे के लिए उसमें ट्यूबवेल का पानी डाल रही है। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने भी सरकार के इस कदम पर सवाल उठाया है।