जेनेवा। पिछले माह जब लाल किले से भारत की आजादी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान का जिक्र किया तो हर तरफ बलूचिस्तान के बारे में बातें होने लगीं। इन सारी बातों के बीच ही आपको एक नाम भी सुनाई दे रहा होगा ब्रह्मदाग बुगती।
ब्रह्मदाग बुगती पिछले कई वर्षों से बलूचिस्तान को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बुगती बलूच रिपलिब्कन पार्टी के मुखिया और इसके संस्थापक हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान मीडिया में ऐसी खबरें भी आईं कि भारत, बुगती को देश में शरण देने की योजना बना रहा है।
हालांकि भारत ने इन खबरों से इंकार कर दिया है। बुगती इन दिनों स्विटजरलैंड में हैं और जेनेवा में रहकर वह बलूचिस्तान और यहां के लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं।
आइए आज आपको बताते हैं कि बुगती कौन हैं और उन्होंने क्यों पिछले दिनों भारत से शरण की मांग की है। आइए आज आपको बताते हैं कि कैसे सिर्फ 33 वर्ष की उम्र में ही बुगती बलूचिस्तान के लोगों की आजादी की लड़ाई को दुनिया में पहुंचा रहे हैं।
अकबर बुगती के पोते ब्रह्मदाग बुगती
ब्रह्मदाग बुगती का जन्म बलूचिस्तान के डेरा बुगती में वर्ष 1982 को हुआ था। वह बलूचिस्तान के चौथे गर्वनर और छठवें मुख्यमंत्री रहे अकबर बुगती के पोते हैं। अकबर बुगती वहीं हैं जिनकी हत्या के आरोप में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ को दोषी बनाया गया था। पिता रेहान खान की मौत हो जाने के बाद उनके दादा ने उनका पालन-पोषण किया था।
2006 से जी रहे हैं निर्वासित जीवन
26 अगस्त 2006 को उनके दादा अकबर बुगती को तेरातानी में हुए एक मिलिट्री ऑपरेशन में मार दिया गया और फिर ब्रह्मदाग बुगती अफगानिस्तान चले गए। वह यहां पर निर्वासित जीवन जीने लगे। ब्रह्मदाग जब तक अफगानिस्तान में रहे उन पर अल कायदा और तालिबान ने कई हमले किए। बुगती हर बार बच गए और उन्होंने इन हमलों के पीछे पाकिस्तान इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार ठहराया।
पाक ने बताया आतंकी संगठन का मुखिया
बुगती ने वर्ष 2008 में बलूच रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना की और उन्होंने यह पार्टी अपने चाचा तलाल अकबर बुगती की जम्हूरियत वतन पार्टी से अलग होकर बनाई थी। इसके बाद पाक ने बुगती पर आरोप लगाया कि वह बलूचिस्तान के अलगाववादी नेताओं के संगठन बलूच रिपब्लिकन आर्मी का नेतृत्व कर रहे हैं। पाक इस संगठन को एक आतंकी संगठन मानता है।
अफगानिस्तान पर पाक का दबाव
पाकिस्तान की सरकार ने अफगानिस्तान पर दबाव बनाया कि वह बुगती, जो पाक के लिए वांटेड नेता हैं, उन्हें प्रत्यर्पित करे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बुगती अक्टूबर 2010 में स्विट्जरलैंड चले गए। दो फरवरी 2011 को उन्होंने अफगानिस्तान से औपचारिक तौर पर राजनीतिक शरण की मांग की। लेकिन 17 जनवरी 2016 को अफगान ने उन्हें शरण देने से इंकार कर दिया।
पाक का भारत पर आरोप
पाक ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने बुगती को भारतीय पासपोर्ट दिया है और वह बुगती और दूसरे बलूच संगठनों को हर संभव मदद देता है। पाक के सरकारी सूत्रों ने अर्जुन दास बुगती, जो कि अकबर बुगती के करीबी थे, उन्हें बुगती और उनकी पार्टी की फंडिंग करने वाले व्यक्ति के तौर पर पहचाना है।
पीएम मोदी की तारीफ पर आलोचना
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सनाउल्लाह जेहरी ने ब्रह्मदाग बुगती को एक तानाशाह करार दिया है। यह टिप्पणी बुगती पर उस समय की गई जब बुगती ने पीएम मोदी के बलूचिस्तान वाले बयान की तारीफ की थी। बुगती अक्सर पाक सेना की ओर से मानवाधिकारों के हनन की बात कहते आए हैं।
भारत से की शरण की मांग
बुगती ने पिछले दिनों बयान दिया है कि अगर उन्हें यूरोप में शरण मिल सकती है तो भारत में क्यों नहीं। बुगती के मुताबिक उन्हें और बलूचिस्तान के लोगों के लिए भारत को अपने दरवाजे खोलने चाहिए। विशेषज्ञों ने तो यहां तक कह डाला है कि भारत को बुगती को उसी तरह से शरण दी जानी चाहिए जैसी दलाई लामा को मिली है।