सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अरुण शर्मा/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के पिसावां एक तरफ अपराधी हाइटेक हो गए हैं। वह अपराध करने के लिए हाइटेक तरीकों का सहारा ले रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पुलिस सुविधाओं के अभाव में हाफ रही है। पुलिस के पास अधिकतर ऐसी जीप है जो 15 साल पुरानी हो चुकी है। जिसे धक्का मारकर स्टार्ट करना पड़ता है। इस जीप से अपराधियों को पकड़ने के लिए कहना बेइमानी होगा। जानकारी के अनुसार ये वाहन 3 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा चल चुके हैं। ज्यादातर थानों की गाडियां न केवल कंपनी द्वारा निर्धारित किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं बल्कि इनके पुर्जे भी पुराने हो चुके हैं।रास्ते में ही रुक जाते हैं वाहनकभी-कभी तो धक्का मारकर थाने के वाहनों को चालू करना पड़ता है। इसके साथ ही कई वाहन चलते-चलते बीच रास्ते में ही बंद हो जाते हैं। ऐसे में अपराधियों की फर्राटे से दौड़ने वाली गाडि़यों का पीछा पुलिस नहीं कर पाती हैं। हालांकि पुलिस अफसर इसे वजह नहीं मानते,क्योंकि उन्होंने हालात को सुधारने की दिशा में कोई पहल ही नहीं की है लेकिन देखा जाए तो आज भी पुराने ढर्रे पर पुलिसिंग जारी है।ऐसे कबाड़ हो जाते है वाहनजानकारों की माने तो मरम्मत के लिए भेजी गई गाड़ी कबाड़ में सड़ जाती है। बड़ी बात है कि एक गाड़ी देने और दूसरी लेने की प्रक्रिया में इतने दाव-पेंच है कि वे अपने ही खर्च से छोटे-मोटे काम करवा कर वाहन को उपयोग के लायक बना लेते हैं। लाइन में गाड़ी भेजने की जहमत नहीं उठाते।थानाध्यक्ष दिनेश सिंह का वर्जनथानाध्यक्ष ने बताया पुरानी गाड़ी है तकनीकी कमी के चलते कभी कभी ऐसी समस्या आ जाती जिनको तुरन्त दुरुस्त कराया जाता है उन्होंने बताया जब कोई बड़ी कमी आती है तो गाड़ी पुलिस लाइन एमटी सेक्सन को भेजकर सही कराया जाता है