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Thursday, February 20, 2025

सीतापुर” भ्रष्टाचार आंदोलन के महानायक अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के विरूध्द जमकर गरजे ।

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,आलम अंसारी/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर में भ्रष्टाचार आंदोलन के महानायक अन्ना हजारे आज सीतापुर शहर के राजा कालेज मैदान में भ्रष्टाचार के विरूध्द जमकर गरजे। भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन समन्वय समिति के तत्वावधान में आयोजित जन सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2011 के आंदोलन में केंद्र की मनमोहन सरकार ने उन्हें तीन कानून बनाने के लिए लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन नहीं बनाया। श्री अन्ना ने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी सरकार बनने पर अच्छे दिनों की शुरुआत होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन अच्छे दिन नहीं आये। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए लोकपाल बिल से अधिकारियों को हर वर्ष 31 मार्च तक अपनी व अपने परिवार की संपत्ति घोषित करने का प्राविधान ही हटा दिया। जिससे अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार का रास्ता खुल गया है। मोदी सरकार ने कम्पनियों द्वारा राजनीतिक दलों को 7.5 प्रतिशत दान करने के प्राविधान को समाप्त कर अब जितना भी कम्पनी चाहे राजनीतिक दलों को दान करने का प्राविधान कर दिया है। जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि अंग्रेज चले गए, लेकिन लोकतंत्र नहीं आया। देश में अभी भी भ्रष्टाचार, लूट व गुंडागर्दी कायम है। बदलाव सिर्फ इतना हुआ है के “गोरे चले गए और काले आ गए”। उन्होंने कहा कि “माल खाये मदारी, नाच करे बन्दर” यह नहीं चलेगा। अन्ना ने कहा कि किसान अन्नदाता है। उसे फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलता। इसलिए कृषि मूल्य आयोग बनाकर उसे संवैधानिक दर्जा दिया जाए। श्री अन्ना ने कहा कि उनका किसी राजनीतिक दल से मतलब नहीं। मैंने जनसेवा के लिए संकल्प लिया है। इसी लिए व्यवस्था में सुधार कराने के लिए आंदोलन कर रहा हूँ। उन्होंने सीतापुर में विभिन्न समस्याओं को लेकर अलग-अलग आंदोलन कर रहे संगठनों के द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध गठित की गई समन्वय समित की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें दो बार जेल भेजा दोनो बार सरकार चली गयी। 2011 में केंद्र सरकार ने उन्हें जेल भेजा सरकार चली गयी। 23 मार्च 2018 के आंदोलन में इस सरकार ने अगर जेल भेजा तो इनका भी वही हाल होगा। अन्ना ने बताया कि 23 मार्च को दिल्ली में सशक्त लोकपाल/लोकायुक्त, किसान उत्थान व चुनाव सुधार को लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह आंदोलन “करो या मरो” के तर्ज पर होगा।

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