नई दिल्ली, NOI। सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग तरह के मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को 168 दिन की गर्भवती महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मेडिकल टेर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 को अंसवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी और गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी। कानून 140 दिन बाद गर्भपात नहीं कराया जा सकता। इसके तहत सात साल की सजा का प्रावधान है।
लेकिन गर्भ में पल रहे भ्रूण में कई तरह की विकृतियां होने और मां की जान के खतरे को देखते हुए कोर्ट की ओर से ऐसा फैसला लिया गया। मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने गर्भ जारी रखने पर महिला की जान को खतरा बताया था।
मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार की सलाह को देखते हुए जस्टिस एस बोबड़े और एल नागेश्वर राव ने गर्भपात की मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से साफ है कि बच्चे के बचने की उम्मीद नहीं है और महिला की जान को बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने अस्पताल से इस मामले की निगरानी और पूरी प्रक्रिया का रिकार्ड रखने को कहा है।