नई दिल्ली. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट के कानून बनाने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। बोर्ड के एक मेंबर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को तो कानून बनाने का हक ही नहीं है। वो सिर्फ मौजूदा कानूनों को मद्देनजर रखते हुए इनसे जुड़े मामलों पर फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने वाले AIMPLB मेंबर का नाम मौलाना अताउर रहमान रशदी है। रशदी ट्रिपक तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़े मामले पर कमेंट कर रहे थे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में एक बार में को गैरकानूनी करार दिया था। केंद्र सरकार इस पर कानून बना रही है।
शरियत में दखलंदाजी गलत
मौलाना अताउर रहमान रशदी के सुप्रीम कोर्ट पर बयान की जानकारी न्यूज एजेंसी ने दी है।
रशदी ने ट्रिपल तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के रुख पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट फैसले सुना सकता है, लेकिन उसका काम कानून बनाना नहीं है।
मौलाना अताउर रहमान रशदी के मुताबिक- कोर्ट का इस मामले में रोल बुनियादी अधिकारों का हनन (वॉयलेशन) है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। शरियत के मामलों में सुप्रीम कोर्ट और सरकार का दखल गलत है।
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
1400 साल पुरानी तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा था कि तीन तलाक वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इलीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने कहा था कि अगर सरकार तीन तलाक को खत्म करना चाहती है तो वह इस पर 6 महीने में कानून लेकर आए।
लोकसभा में 7 घंटे में पास, कोई बदलाव नहीं
लोकसभा में यह बिल 28 दिसंबर को पेश किया गया था। 1400 साल पुरानी ट्रिपल तलाक प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ यह बिल लोकसभा में 7 घंटे के भीतर पास हो गया था। कई संशोधन पेश किए गए, लेकिन सब खारिज हो गए। इनमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सांसद के भी तीन संधोधन थे, लेकिन ये भी खारिज हो गए।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने फाइनल जवाब में कहा था, “ये बिल धर्म, विश्वास और पूजा का मसला नहीं है, बल्कि जेंडर जस्टिस और जेंडर इक्वालिटी से जुड़ा मसला है। अगर देश की मुस्लिम महिलाओं के हित में खड़ा होना अपराध है तो हम ये अपराध 10 बार करेंगे।”
राज्यसभा में सरकार क्यों मजबूर, अटका तीन तलाक पर बिल?
फिलहाल, राज्यसभा में एनडीए और कांग्रेस दोनों के ही पास 57-57 सीटें हैं। सरकार के सामने दिक्कत ये है कि बीजू जनता दल और एआईएडीएमके जैसी पार्टियां इस सदन में मोदी सरकार की मदद करती रही हैं, लेकिन ट्रिपल तलाक बिल का विरोध कर रही हैं।
ऐसे में, अगर यह बिल स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाता है तो इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इसे विंटर सेशन में पारित नहीं करवा पाएगी। यह बिल कानून बने, इसके लिए दोनों सदनों से इसका पास होना जरूरी है। विंटर सेशन में यह बिल पास नहीं हो पाया।