नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल करते हुए सेना की खिंचाई की कि उसने मणिपुर में अपने कर्मियों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोपों पर चुप्पी क्यों साधे रखी। न्यायालय ने उनके खिलाफ ये मामले आगे नहीं बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से भी सवाल किया। साथ ही अदालत ने इन मामलों की छानबीन के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने मणिपुर सरकार से यह समझाने के लिए भी कहा कि उसकी यह ‘लाचारी’ थी या एक ‘मौन सहमति’ कि सैन्य कर्मियों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के गंभीर आरोप होने के बावजूद वह उनके खिलाफ आगे नहीं बढ़ेगी।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की एक पीठ ने सेना और असम राइफल्स के लिए पेश होने वाले अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘आप चुप क्यों रहे?’ इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘ये केवल आरोप हैं। सवाल है कि सैन्य कर्मियों ने क्या बलात्कार किया।’
1528 हत्याओं के मामले की जांच के लिए SIT का गठन
न्यायालय ने रोहतगी से यह सवाल तब किया जब उसे बताया गया कि दो सैन्य कर्मियों के खिलाफ आरोप थे कि उन्होंने 2003 में 15 वर्षीय एक लड़की से बलात्कार किया था, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। पीठ को यह भी बताया गया कि बलात्कार के आरोपों पर एक जांच की गई जिसके बाद पीठ ने कहा, ‘हम यह जानना चाहेंगे कि आपने किस तरह की जांच की है। हम जांच रिपोर्ट देखना चाहेंगे।’
न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें मणिपुर में 2000 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा कथित तौर पर की गई 1528 हत्याओं की जांच एवं मुआवजे की मांग की गई है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इनकी जांच को एसआईटी के गठन का निर्णय लिया।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को एसआईटी के गठन के मद्देनजर डीआईजी स्तर के पांच सीबीआई अधिकारी या पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारियों का नाम बताने के लिए कहा है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह बुधवार को पीठ के समक्ष नामों की सूची पेश करेंगे। इसके अलावा पीठ ने राज्य सरकार और जनहित याचिका दाखिल करने वाले संगठन के वकीलों को भी नाम सुझाने के लिए कहा है।