नई दिल्ली, एजेंसी । स्कूल और कॉलेज के क्लासरूम में तो आप सभी लोग गए होंगे लेकिन जापान में एक ‘ग्रेव क्लासरूम’ भी है जहां आत्महत्या की चाह रखने वाली औरतों की क्लास ली जाती है। सुन कर थोड़ा अजीब लग रहा होगा और लगना जायज भी है। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है तो चलिए बताते हैं।
पहले तो इस कब्रिस्तान रूम के बारे में जान लीजिए। ये रूम चार दीवारों से घिरा हुआ नहीं बल्कि खुले मैदान में बनाया गया है। जहां मिट्टी की परत जमा की गई है। सुसाइड से पहले यहां औरतों को मौत से मिलवाया जाता है।
ये ग्रेवयार्ड क्लासरूम 30 साल के ‘लियू तेजी’ के द्वारा 3 साल पहले चलाया गया था। लियू के पति ने 3 साल पहले जब उन्हें छोड़ दिया तो जिंदगी से निराश होकर उन्होंने ने भी आत्महत्या करने को सोचा। बाद में उन्हें एहसास हुआ कि मेरे जैसी लाखों औरतें हर दिन आत्महत्या को गले लगाती हैं। ये सोचकर उन्होंने ग्रेव क्लासरूम खोला और आज वो हजारों औरतों की जिंदगी बचाने में सक्षम हैं।
होता ये है कि जो औरते जिंदगी से हार गई होती हैं जिन्हें जीने की कोई वजह नहीं बचती वो अधिकतर खुदकुशी करने को सोचती हैं और कुछ तो कर भी लेती हैं। यही सोचकर जापान में ग्रेव क्लासरूम बनाया गया। इन औरतों को जिंदगी के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने के लिए पहले मौत का अनुभव करवाया जाता है। इन औरतों की दिमाग में यह भरा जाता है कि वो अपने आप को दुनिया के बिना सोचें।
पहले उन्हें मिट्टी से पूरी तरह ढक दिया जाता है फिर उन्हें ये अपने मौत के बारे में सोचने को कहा जाता है जिससे कई सारी औरतें मात्र सोच कर ही डर जाती हैं। और अपने दिमाग से खुदकुशी का खयाल हटाने में कामयाब होती हैं। मतलब ये कि मौत का अनुभव लेकर ये औरतें जिंदगी जीने में कामयाब होती हैं।