नई दिल्ली, एजेंसी। सेंसर बोर्ड ने मलयाली फिल्म ‘का बॉडीस्केप्स’ को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि ये फिल्म लेस्बियन, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर और महिलाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर आधारित है। साथ ही इस फिल्म में हिंदू धर्म का मजाक बनाया गया है और महिलाओं को मास्टरबैट करते दिखाया गया है। वहीं दूसरी ओर इस फिल्म के निर्देशक जयन चेरियन ने फिल्म को सर्टिफिकेट ना देने पर सेंसर बोर्ड के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इससे पहले भी चेरियन की फिल्म ‘पपिलिओ बुद्धा’ को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट नहीं दिया था।
इस बारे में चेरियन का कहना है कि हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड से कहा था कि वो 30 दिन के अंदर फिल्म को सर्टिफिकेट दे। लेकिन सेंसर बोर्ड ने हाई कोर्ट की बात को अनसुना कर दिया और इसके खिलाफ एक अलग याचिक फाइल कर दी। इसके बाद दिसंबर 2016 में दो जज की टीम ने सेंसर बोर्ड की अर्जी को खारिज करते हुए फिल्म को 90 दिनों में सर्टिफिकेट देने का आदेश दिया था। लेकिन सेंसर बोर्ड ने इस आदेश का भी पालन नहीं किया। सेंसर बोर्ड के चेयरपर्सन पहलाज निहलानी ने भी इस फिल्म को रिजेक्ट करते हुए सर्टिफिकेट नहीं दिया। चेरियन न्यूयॉर्क बेस्ट फिल्ममेकर हैं। इस केस को करीब एक साल हो चुका है। लेकिन फिल्म को अभी तक सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है।
फिल्म ’लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को सर्टिफिकेट ना देने के बाद ये दूसरा मामला सामने आया है। केरल में सेंसर बोर्ड की रीजनल ऑफिसर प्रतिभा ए ने इस मामले में निर्देशक चेरियन को एक लेटर भेजा था। इस चिट्ठी में कहा गया था कि पूरी फिल्म में हिंदू धर्म का अपमान किया गया है। साथ ही इसमें अश्लीलता भी है। हिंदू देवी-देवताओं की गलत छवि दिखाई गई है। बता दें कि फिल्म के एक सीन में हनुमान को सेक्शुअलिटी पर आधारित किताबें ले जाते दिखाया गया है। पूरी फिल्म में मानवीय संवेदनाओं पर चोट पहुचाई गई है।