दीकप ठाकुर -NOI।
वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ पर्चा भरने वाले गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव को उनका नामंकन खारिज हो जाने का काफी मलाल है जिसके लिए उन्होंने निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर भी संदेह व्यक्त किया है।वाराणसी में गठबंधन प्रत्याशी शालनी यादव के साथ एक संयुक्त पत्रकारवार्ता में जो उन्होंने कहा उसे सुन कर तो यही लगता है कि सेना के इस जवान को उस ख़ता की सज़ा मिली जो उसने ये सोच कर की ही नही थी।
आपको याद होगा सेना के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव का वो वायरल वीडियो जिसमे उन्होंने जवानों को दिए जा रहे भोजन से हम सबको अवगत कराया था उनके इस वीडियो ने काफी सुर्खी भी बटोरी पर अफसोस ये रहा के जवानों का दर्द समझने की बजाए उन्हें सेना से ही बर्खास्त कर दिया गया।इसी मुद्दे पर उन्होंने इस पत्रकारवार्ता में कहा कि उन्होंने ये सोचकर वीडियो साझा किया था के मोदी सरकार जवानों को बेहतर सुविधा देगी पर अफसोस उनकी सोच यहां गलत साबित हुई।
उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उन्हें इसके लिए सेना से निकाल दिया गया और उनके बेटे की भी हत्या कर दी गईं इन संगीन आरोपों के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की जम कर तारीफ की और कहा कि अखिलेश को अंदेशा था कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है इसलिए अखिलेश ने वाराणसी से दो नामंकन करवाये थे उन्होंने कहा कि वो शालनी यादव को जिताने की हर सम्भव कोशिश करेंगे और अपनी बात आम जनता तक पहुंचाएंगे।
वैसे तो वाराणसी से पीएम मोदी की दावेदारी सुनिश्चित लग रही है लेकिन सेना के इस जवान के मैदान में आने से मामला थोड़ा रोचक ज़रूर होता अब उनके समर्थन और प्रचार का लाभ गठबंधन उम्मीदवार शालनी यादव को कहां तक ले जाता है ये देखने वाली बात होगी।पर इतना तो साफ है कि तेज बहादुर यादव क्योंकि सेना के सिपाही थे इसलिए लोग उनके सम्मान को भी कमतर नही आंकेंगे।