मणिकांत मयंक, हिसार। पूर्व विधायक रेलूराम हत्याकांड में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पड़ी सोनिया व संजीव की दया याचिका खारिज होने के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जाएगी। दया याचिका खारिज करने के फैसले को न्याय की जीत मानते हुए फांसी की सजा के याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अब जल्द फांसी की तारीख तय करने के लिए अदालत में अर्जी लगाने की तैयारी कर रहे हैं। सोनिया-संजीव फिलहाल अंबाला जेल में बंद हैं।
मालूम हो कि राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी सिंह को उच्चतम न्यायालय द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व गांधी परिवार ने हस्तक्षेप कर नलिनी सिंह को फांसी से राहत दिलवाई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास पहुंची दया याचिका पर उन्होंने पैरवी की थी। राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज कर देने के बाद सोनिया को फांसी होना तय हो गया है, जो यह सजा पाने वाली देश की पहली महिला होगी।
इस मामले के एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि दोनों हत्यारों को फांसी की तिथि तय करने के लिए तय जून की तिथि से पहले अदालत में अर्जी लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक केस था। प्रॉपर्टी की लालच में किए गए घिनौने अपराध की सजा फांसी ही है। इससे दिवंगत आत्मा को भी शांति मिलेगी। राष्ट्रपति के फैसले से न्याय की जीत हुई है। उधर, रेलूराम के भाई व याचिकाकर्ता राम सिंह ने भी दया याचिका खारिज होने पर संतोष जताया है।
सोनिया ने की थी जेल से भागने की कोशिश
पूर्व विधायक की हत्या के मामले में अंबाला जेल में बंद संजीव-सोनिया ने पाकिस्तानी जासूस व कुछ अन्य कैदियों के साथ सुरंग खोद कर भागने की कोशिश की थी। उनकी इस कोशिश में पाकिस्तान के साहिवाल के मसूद अख्तर, पश्चिम बंगाल के आनंद पिंटो व राजन गौड़ सहित कुछ अन्य कैदी भी शामिल थे। अंबाला के बलदेव नगर थाने में यह मुकदमा दर्ज किया गया था।
तिल-तिल मौत से मुक्ति दो
17 फरवरी 2009 को सोनिया ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में यह जिक्र किया गया था कि उसकी प्रति मिनट मौत हो रही है। इसलिए दया याचिका पर शीघ्र फैसला लिया जाए।
सोनिया संजीव का एक बेटा भी
सोनिया व संजीव का एक बेटा भी है और फिलहाल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दादा-दादी के परिवार के साथ है।
डेथ वारंट के लिए तय होगी तिथि
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद यह मामला एक बार गृह मंत्रालय जाएगा। वहां से फाइल फिर सेशन जज हिसार को भेजी जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल के अनुसार सेशन जज फांसी देने के लिए डेथ वारंट की तिथि निर्धारित करेंगे।
क्या था मामला
23 अगस्त 2001 को जिले के प्रभुवाला गांव में पूर्व विधायक रेलूराम व उसके परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इसमें रेलूराम पूनिया के अलावा उनकी पत्नी कृष्णा, बेटे सुनील, बहू शकुंतला, बेटी प्रियंका, चार साल के पोते लोकेश, ढाई साल की पोती शिवानी और डेढ़ महीने की प्रीति की बेरहमी से हत्या की गई थी।
31 मई 2004 को सेशन जज की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
2 अप्रैल 2005 को हाई कोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदला। 15 फरवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सेशन जज की सजा बरकरार रखने का फैसला दिया। 23 अगस्त 2007 को समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई। सेशन जज ने 26 नवंबर 2007 को फांसी देने की तिथि मुकर्रर की।
समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद सोनिया व संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया के लिए याचिका लगाई। 3 अप्रैल 2013 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दया याचिका खारिज कर दी।