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Sunday, September 8, 2024

सोशल मीडिया पर चुनावी जंग का आगाज़…

दीपक ठाकुर:NOI।

2019 लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टीयों ने अपना प्रचार भले ही प्रत्यक्ष रूप से प्रारंभ ना किया हो लेकिन उनकी सोशल मीडिया सेल काफी प्रभावी ढंग से अपने कार्य को अंजाम देने में लगी हुई है और उनके साथ खड़ा है वो वर्ग जो अपने पसंदीदा नेता के खिलाफ एक शब्द भी सुनने को तैयार नही दिखता।

फेसबुक हो या वाट्सअप या और कोई भी ज़रिया हो सभी जगह यही दिखाई पड़ता है कि यहां जंग इस बात की हो रही है कि वो साठ साल अच्छे थे या ये बीते चार साल।लोग अपनी अपनी दलीलों से अपना पक्ष इतनी मज़बूती से रखने का प्रयास करते है मानो पार्टी के वही सर्वे सर्वा हो या पार्टी जीत गई तो उनकी ज़रूर निकल पड़ेगी और तो और कई बार वार्तालाप ऐसा रुप ले लेती है कि किसी दूसरे को हस्तछेप कर के मामला रफा दफा करना पड़ता है।

अभी हालिया जो सोशल मीडिया पर गर्म मुद्दा रहा वो रहा पेट्रोल की बढ़ी कीमतों को लेकर जिसमे सत्ता पक्ष के समर्थकों का कहना है कि बढ़ी कीमतें हमारे भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए ज़रूरी है क्योंकि यही बढ़ा पैसा देश के विकास की योजनाओं में लगाया जाता है यही तर्क सरकार का भी है।

वही दूसरी तरफ विरोधी पार्टी और उनके समर्थक कहते हैं कि सरकार पूरी तरह से फेल है और वो चाह कर भी पेट्रोल के दामो को कम नही कर रही जबकि ये उसके बाएं हाथ का काम है। लोग कह रहे हैं भविष्य के चक्कर मे उनके वर्तमान की ऐसी तैसी कर दी है सरकार ने हम तो बड़ा परेशान है।

यहां सबके अपने अपने तर्क हैं लोग और उनकी पार्टी अपनी बात पर कायम रहने के लिए सारी हदें पार करने को उतारू हैं पर हमारे समझ मे एक बात नही आती के आज सरकार पेट्रोल की बढ़ी कीमतों पर जो दलील दे कर अपनी मजबूरी बता रही है यही बात वो तब क्यों नही समझती थी जब वो सत्ता से दूर थी क्यों विपक्ष में बैठकर इसी बात के लिए मौजूदा सरकार को पानी पी पी कर कोसती थी मतलब उसको सरकार की मंशा पर संशय था तो अब आम जनता आपकी मंशा पर शक क्यों ना करे आप ही बता दीजिए।

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